दस्त होने पर देशी व घरेलू उपाय / Loose Motion Hone Par Deshi Upchar Kaise Kren ?
दस्त या Loose Motion हमारे लिए एक गम्भीर समस्या बन जाती है। दस्त होने पर घर से बहार निकलना मुश्किल हो जाता है। दस्त लगने के कारण शरीर कमजोर महसूस होने लगता है। दस्त होते ही उसका घरेलू उपचार आरम्भ कर देेना चाहिए। दस्त होते ही लोग दवाइयों की तरह भागते है यदि 2-3 महीने में दस्त एक या दो बार लग भी जाए तो पहले 2-3 बार खुल कर सोच जाओ उसके बाद देशी तरीके से दस्त ठीक करने की कोशिश करें।अगर 24घंटे तक दस्तों में आराम ना मिले तो फिर अच्छे से डॉक्टर को जरुर दिखाएं।
दस्त होने पर देशी व घरेलू उपाचार :-
दस्त के कारण शरीर में पानी और नमक की कमी को दूर करने के लिए ‘‘जीवन रक्षक घोल’’ का प्रयोग तुरन्त करना चाहिए। यह घोल आसानी से तैयार कर सकते हैं। इसकी विधि निचे लिखी है :-
एक गिलास या (200मि.ली.) पीने का साफ पानी(water) लेवें। वह पानी एक साफ बड़े बर्तन में डालिये। इसमें साफ हाथ से एक चुटकी बारीक नमक डालिये। अब साफ चम्मच से पानी को हिलायें ताकि नमक पानी में पूरी तरह घुल जाये। इस घोल को चख कर यह पता लगा लें कि स्वाद आँसुओं से अधिक नमकीन नहीं हो। अब एक चाय वाला चम्मच चीनी से भर कर पानी में डाल दें। चम्मच से घोल हिला कर चीनी अच्छी तरह से घोल लें। चीनी नहीं हो तो गुड़ भी काम में ले सकते हैं। अब हर पतली दस्त के बाद आधे से एक गिलास तक यह घोल रोगी को थोड़ा-थोड़ा करके पिलायें। ‘‘जीवन रक्षक घोल’’ बने-बनाये पैकेटों में भी मिलता है। इस एक पैकेट को एक लीटर साफ पानी में घोलना होता है।
दस्त होने पर अन्य देशी उपाचार :-
लौकी- लौकी का रायता दस्तों में लाभदायक है।
आलू बुखारा- यह मलरोधक है लेकिन कब्ज नहीं करता।
गाजर- इससे पुराने दस्त और अपच के दस्त ठीक हो जाते हैं।
प्याज- प्याज को पीसकर नाभि पर लेप करने से दस्त बन्द हो जाते हैं।
मसूर की दाल व चावल- ये दस्त और पेचिष के रोगियों के लिए उत्तम भोजन है।
अमरूद- अमरूद की कोमल पत्तियाँ उबाल कर पीने से पुराने दस्त ठीक हो जाते हैं।
पपीता- कच्चा पपीता उबाल कर खाने से पुराने दस्त (Loose Motion)ठीक हो जाते हैं।
छाछ- आधा पाव छाछ में 12ग्राम शहद मिलाकर तीन बार पीने से दस्त ठीक हो जाते हैं।
दालचीनी- 2 ग्राम पिसी हुई दालचीनी की पानी से तीन बार फँकी लेने से दस्त(Loose Motion) बन्द हो जाते है। जायफल- सौंठ और जायफल को पानी में घिस कर तीन बार नित्य पिलाने से दस्त ठीक हो जाते है। यह बच्चों के लिए विषेष उपयोगी है।
तुलसी- तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से दस्तों में लाभ होता है। दस ग्राम तुलसी के पत्तों का रस पीने से मरोड़ और अजीर्ण में गुणकारी है।
आँवला- सूखा आँवला, काला नमक समान मात्रा में पीसकर जल के साथ आधा चम्मच की फँकी लेने से दस्त (Loose Motion)बन्द हो जाते हैं।
गेहूँ- सौंफ को बारीक पीस लें। इसे पानी में मिलायें। इस सौंफ के पानी में गेहूँ का आटा ओषण कर रोटी बनाकर खाने से दस्त और पेचिष में लाभ होता है।
एक अनार पर चारों ओर मिट्टी का लेप करें और भून लें। भूनने के बाद दाने निकाल कर रस निकालें। इसमें शहद मिला कर पीयें। किसी भी प्रकार के दस्त ठीक हो जायेंगे।
फिटकरी- फिटकरी 20ग्राम और अफीम 3ग्राम पीस कर मिला लें। सवेरे-षाम इस चूर्ण (दाल के बराबर) को थोड़े-से पानी के साथ रोगी को पिलायें। इससे दस्तों में लाभ होगा।
आम- मीठा अमरस आधा कप, दही 25 ग्राम और अदरक का रस एक चम्मच सब मिलाकर पीयें। इससे पुराने दस्त, दस्तों में अपच के कण निकलना और बवासीर ठीक होती है।
जीरा- पतले दस्त होने पर जीरे को सेक कर आधा चम्मच शहद में मिलाकर चार बार नित्य चाटें। खाने के बाद छाछ में सिका हुआ जीरा काला नमक मिलाकर पीयें। दस्त बन्द हो जायेगें।
ईसबगोल- दो चाय की चम्म्च ईसबगोल गर्म दूध में फुलाकर रात्रि में सेवन करें। प्रातः दही में भिगोकर फुलाकर उसमें नमक,सौंठ,जीरा मिलाकर पिलायें। कुछ दिन लगातार सेवन करने सेे दस्तों में आँव निकलना बन्द हो जायेगा।
अदरक- आधा कप उबला हुआ गर्म पानी लें। इसमें एक चम्मच अदरक क रस मिलायें। जितना गर्म पिया जा सके, उतना गर्म पीयें। इस तरह एक घण्टे में एक खुराक लेते रहने से पानी की तरह हो रहे दस्त (Loose Motion)बन्द हो जाते है।
नीबू- दूध में नीबू निचोड़ कर पीने से दस्तोें में लाभ होता है। दस्त में मरोड़ हो, आँव आती हो तो नीबू का उपयोग करें। एक नीबू का रस एक कप पानी में मिलाकर पीयें। इसी प्रकार एक दिन में पाँच बार दें। इससे दस्त(Loose Motion) बन्द हो जाते हैं।
घी- दस्त हाने पर आधा गिलास गर्म पानी में एक चाय की चम्मच गाय या भैंस का देषी घी मिला कर सुबह-शाम दो बार पीयें। दस्त बन्द हो जायेंगे। बच्चों को कम मात्रा में उनके पीने की क्षमतानुसार दें। यह नुस्खा अनेक परिवारों में पीढि़यों से प्रयोग किया जाता है।
जामुन- कैसे भी तेज दस्त हों, जामुन के पेड़ की ढाई पत्तियाँ, जो न ज्यादा मोटी हों और न ज्यादा मुलायम, लेकर पीस लें, फिर उसमें जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर उसकी गोली बना लें। एक गोली सुबह और एक गोली शाम को लेने से अतिसार तुरन्त बन्द हो जाता है।
15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग- इन दोनों को पीस कर एक गिलास पानी में उबालें। आधा पानी रहने पर छान कर इसके तीन हिस्से करके एक दिन में 3-3 घंटे के अन्तर से तीन बार पीयें। दस्त, पेचिष में लाभ होगा। जिन व्यक्तियों के पेट में आँव की शिकायत बनी रहती हो या डिसेंट्री संग्रहणी हो, उनके लिए इसका नियमित सेवन लाभकारी है।
सौंफ- यदि मरोड़ देकर थोड़ा-थोड़ा मल आता हो तो तीन ग्राम कच्ची और तीन ग्राम भुनी हुई सौंफ मिलाकर, पीसकर, मिश्री मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है। छोटे बच्चों के पतले दसत, पेचिष में छः ग्राम सौंफ 82 ग्राम पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाये तो उसमे 1ग्राम काला नमक डाल दें। बच्चों को बारह ग्राम पानी दिन में तीन बार देने से बहुत लाभ होता है।
दस्त होने पर परहेज :-
दस्त रोग के दौरान रोगी की खुराक पर विषेष ध्यान देने की जरूरत है। बच्चे को माँ का दूध पिलाना चाहिए। इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में अन्य तरल पदार्थ, जैसे- नीबू का पानी, चावल, कांजी, आदि दीजिए। खिचड़ी, मसाला हुआ केला, दही आदि नरम चीजें खिलाई जायें।
यदि पतले दस्त दो दिनों में बन्द नहीं हों और बच्चा कमजोर होता चला जाये तो उसे डॉक्टर को दिखाना जाना चाहिये।
अजीर्ण, अपच से दस्त हो तो रोगी को भोजन नहीं करना चाहिए। दही की लस्सी पीना लाभदायक है। यहाँ वर्णित चीजों का अधिकाधिक सेवन करें। इनसे भोजन की पूर्ति भी होगी और रोग भी ठीक हो जायेगा।
दस्त होने पर सामान्य दही की लस्सी, छाछ, छाछ में दो चम्मच ईसबगोल की भूसी मिला कर दें। फलों में सेब, अनार का रस, दही, खिचड़ी देना लाभदायक है।
दस्त होने पर देशी व घरेलू उपाचार :-
दस्त के कारण शरीर में पानी और नमक की कमी को दूर करने के लिए ‘‘जीवन रक्षक घोल’’ का प्रयोग तुरन्त करना चाहिए। यह घोल आसानी से तैयार कर सकते हैं। इसकी विधि निचे लिखी है :-
एक गिलास या (200मि.ली.) पीने का साफ पानी(water) लेवें। वह पानी एक साफ बड़े बर्तन में डालिये। इसमें साफ हाथ से एक चुटकी बारीक नमक डालिये। अब साफ चम्मच से पानी को हिलायें ताकि नमक पानी में पूरी तरह घुल जाये। इस घोल को चख कर यह पता लगा लें कि स्वाद आँसुओं से अधिक नमकीन नहीं हो। अब एक चाय वाला चम्मच चीनी से भर कर पानी में डाल दें। चम्मच से घोल हिला कर चीनी अच्छी तरह से घोल लें। चीनी नहीं हो तो गुड़ भी काम में ले सकते हैं। अब हर पतली दस्त के बाद आधे से एक गिलास तक यह घोल रोगी को थोड़ा-थोड़ा करके पिलायें। ‘‘जीवन रक्षक घोल’’ बने-बनाये पैकेटों में भी मिलता है। इस एक पैकेट को एक लीटर साफ पानी में घोलना होता है।
दस्त होने पर अन्य देशी उपाचार :-
लौकी- लौकी का रायता दस्तों में लाभदायक है।
आलू बुखारा- यह मलरोधक है लेकिन कब्ज नहीं करता।
गाजर- इससे पुराने दस्त और अपच के दस्त ठीक हो जाते हैं।
प्याज- प्याज को पीसकर नाभि पर लेप करने से दस्त बन्द हो जाते हैं।
मसूर की दाल व चावल- ये दस्त और पेचिष के रोगियों के लिए उत्तम भोजन है।
अमरूद- अमरूद की कोमल पत्तियाँ उबाल कर पीने से पुराने दस्त ठीक हो जाते हैं।
पपीता- कच्चा पपीता उबाल कर खाने से पुराने दस्त (Loose Motion)ठीक हो जाते हैं।
छाछ- आधा पाव छाछ में 12ग्राम शहद मिलाकर तीन बार पीने से दस्त ठीक हो जाते हैं।
दालचीनी- 2 ग्राम पिसी हुई दालचीनी की पानी से तीन बार फँकी लेने से दस्त(Loose Motion) बन्द हो जाते है। जायफल- सौंठ और जायफल को पानी में घिस कर तीन बार नित्य पिलाने से दस्त ठीक हो जाते है। यह बच्चों के लिए विषेष उपयोगी है।
तुलसी- तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से दस्तों में लाभ होता है। दस ग्राम तुलसी के पत्तों का रस पीने से मरोड़ और अजीर्ण में गुणकारी है।
आँवला- सूखा आँवला, काला नमक समान मात्रा में पीसकर जल के साथ आधा चम्मच की फँकी लेने से दस्त (Loose Motion)बन्द हो जाते हैं।
गेहूँ- सौंफ को बारीक पीस लें। इसे पानी में मिलायें। इस सौंफ के पानी में गेहूँ का आटा ओषण कर रोटी बनाकर खाने से दस्त और पेचिष में लाभ होता है।
एक अनार पर चारों ओर मिट्टी का लेप करें और भून लें। भूनने के बाद दाने निकाल कर रस निकालें। इसमें शहद मिला कर पीयें। किसी भी प्रकार के दस्त ठीक हो जायेंगे।
फिटकरी- फिटकरी 20ग्राम और अफीम 3ग्राम पीस कर मिला लें। सवेरे-षाम इस चूर्ण (दाल के बराबर) को थोड़े-से पानी के साथ रोगी को पिलायें। इससे दस्तों में लाभ होगा।
आम- मीठा अमरस आधा कप, दही 25 ग्राम और अदरक का रस एक चम्मच सब मिलाकर पीयें। इससे पुराने दस्त, दस्तों में अपच के कण निकलना और बवासीर ठीक होती है।
जीरा- पतले दस्त होने पर जीरे को सेक कर आधा चम्मच शहद में मिलाकर चार बार नित्य चाटें। खाने के बाद छाछ में सिका हुआ जीरा काला नमक मिलाकर पीयें। दस्त बन्द हो जायेगें।
ईसबगोल- दो चाय की चम्म्च ईसबगोल गर्म दूध में फुलाकर रात्रि में सेवन करें। प्रातः दही में भिगोकर फुलाकर उसमें नमक,सौंठ,जीरा मिलाकर पिलायें। कुछ दिन लगातार सेवन करने सेे दस्तों में आँव निकलना बन्द हो जायेगा।
अदरक- आधा कप उबला हुआ गर्म पानी लें। इसमें एक चम्मच अदरक क रस मिलायें। जितना गर्म पिया जा सके, उतना गर्म पीयें। इस तरह एक घण्टे में एक खुराक लेते रहने से पानी की तरह हो रहे दस्त (Loose Motion)बन्द हो जाते है।
नीबू- दूध में नीबू निचोड़ कर पीने से दस्तोें में लाभ होता है। दस्त में मरोड़ हो, आँव आती हो तो नीबू का उपयोग करें। एक नीबू का रस एक कप पानी में मिलाकर पीयें। इसी प्रकार एक दिन में पाँच बार दें। इससे दस्त(Loose Motion) बन्द हो जाते हैं।
घी- दस्त हाने पर आधा गिलास गर्म पानी में एक चाय की चम्मच गाय या भैंस का देषी घी मिला कर सुबह-शाम दो बार पीयें। दस्त बन्द हो जायेंगे। बच्चों को कम मात्रा में उनके पीने की क्षमतानुसार दें। यह नुस्खा अनेक परिवारों में पीढि़यों से प्रयोग किया जाता है।
जामुन- कैसे भी तेज दस्त हों, जामुन के पेड़ की ढाई पत्तियाँ, जो न ज्यादा मोटी हों और न ज्यादा मुलायम, लेकर पीस लें, फिर उसमें जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर उसकी गोली बना लें। एक गोली सुबह और एक गोली शाम को लेने से अतिसार तुरन्त बन्द हो जाता है।
15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग- इन दोनों को पीस कर एक गिलास पानी में उबालें। आधा पानी रहने पर छान कर इसके तीन हिस्से करके एक दिन में 3-3 घंटे के अन्तर से तीन बार पीयें। दस्त, पेचिष में लाभ होगा। जिन व्यक्तियों के पेट में आँव की शिकायत बनी रहती हो या डिसेंट्री संग्रहणी हो, उनके लिए इसका नियमित सेवन लाभकारी है।
सौंफ- यदि मरोड़ देकर थोड़ा-थोड़ा मल आता हो तो तीन ग्राम कच्ची और तीन ग्राम भुनी हुई सौंफ मिलाकर, पीसकर, मिश्री मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है। छोटे बच्चों के पतले दसत, पेचिष में छः ग्राम सौंफ 82 ग्राम पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाये तो उसमे 1ग्राम काला नमक डाल दें। बच्चों को बारह ग्राम पानी दिन में तीन बार देने से बहुत लाभ होता है।
दस्त होने पर परहेज :-
दस्त रोग के दौरान रोगी की खुराक पर विषेष ध्यान देने की जरूरत है। बच्चे को माँ का दूध पिलाना चाहिए। इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में अन्य तरल पदार्थ, जैसे- नीबू का पानी, चावल, कांजी, आदि दीजिए। खिचड़ी, मसाला हुआ केला, दही आदि नरम चीजें खिलाई जायें।
यदि पतले दस्त दो दिनों में बन्द नहीं हों और बच्चा कमजोर होता चला जाये तो उसे डॉक्टर को दिखाना जाना चाहिये।
अजीर्ण, अपच से दस्त हो तो रोगी को भोजन नहीं करना चाहिए। दही की लस्सी पीना लाभदायक है। यहाँ वर्णित चीजों का अधिकाधिक सेवन करें। इनसे भोजन की पूर्ति भी होगी और रोग भी ठीक हो जायेगा।
दस्त होने पर सामान्य दही की लस्सी, छाछ, छाछ में दो चम्मच ईसबगोल की भूसी मिला कर दें। फलों में सेब, अनार का रस, दही, खिचड़ी देना लाभदायक है।
