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गठिया बा के दर्द से राहत कैसे मिलेगी ? Gathiya Baa ke Drd Se Chutkara Kaise Len

अक्सर लोग बीमारियों को अपने बुरे कर्मों का नतीजा मानते है यदि इसकी बजाय सकारात्मक सोच से धार्मिक आस्था और अध्यात्म का सहारा लिया जाए हमें काफी बीमारियों से राहत मिल सकती है। वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में यह पाया है कि जोड़ों के गठिया (रुमेटाॅइड आर्थराइटिस) के असाध्य दर्द से पीडि़त मरीजों को धर्म एवं अध्यात्म की जीवन शैली अपनाने से दर्द कम करने और स्वस्थ होने में काफी मदद मिली।



इसमें सकारात्मक धार्मिक एवं आध्यात्मिक प्रवृत्तियों वाले मरीजों को अधिक प्रभावी ढंग से दर्द से मुक्ति एवं नियंत्रण पाते देखा गया है। अपनी बीमारियों को पापों या ईष्वरीय प्रकोप मानने की नकारात्मक सोच दर्द बढ़ाती है। इसके विपरीत ईष्वर के निकट अथवा जीवन के प्रति जुड़ाव रखने वाले मरीजों को अधिक सामाजिक समर्थन भी मिलता है।


ऊपर दी गई बातों के प्रयोग से ही हम आपको योग गुरु के द्वारा बताये गये सुझाव जो गठिया रोग में ध्यान रखने  योग्य हैं:- 

(a) सामान्यतः संधिषोथ में व्यक्ति को कब्ज की शिकायत रहती है। रोगी को चाहिए कि वह शरीर में कब्ज न होने दे। इसके लिए अरण्ड-तेल का उपयोग लाभप्रद होता है।
(b) अचार, इमली, सिरका आदि पदार्थों से रोगी को दूर रहना चाहिए। रोगी की इच्छा हो, तो वह थोड़ी मात्रा में छाछ ले सकता है, परन्तु वह खट्टी न हो।
(c)रोगी को तेल, मक्खन, घी आदि में तले गए पदार्थों से परहेज जरुर करना चाहिए। इसी प्रकार, भिण्डी, कटहल, चावल का निषेध करना चाहिए। अपने आहार में अत्यन्त गरम मसालों तथा मिर्च का प्रयोग उचित नहीं है। सौंठ, काली मिर्च, जीरा, लौंग तथा दालचीनी जैसे मध्यम मसालों का प्रयोग लाभदायक होता है। गेहूँ, ज्वार, जौ का प्रयोग करना उपयुक्त होता है।
(d) गठिया के रोगी को कुछ दिनों तक गुनगुना एनिमा देना चाहिए ताकि रोगी का पेट साफ़ हो, क्योंकि गठिया के रोग को रोकने के लिए कब्जियत से छुटकारा पाना ज़रूरी है।



जोड़ो के दर्द यानि गठिया बा के रोग के घरेलु उपय :-
   
(1) नीबू- मौसम के अनुसार गर्म पानी में नीबू निचोड़ कर हररोज सुबह-सुबह नीबू-पानी पीना लाभदायक है। या फिर नीबू, शहद, पानी मिला कर पीयें।

(2) गेहूँ- गेहूँ के घास का रस पीना इस रोग में बहुत लाभदायक माना जाता है। खट्टे फलों के रस, सब्जियाँ जैसे लौकी, टमाटर का रस पीते रहने से यह रोग ठीक हो जाता है।

(3) दही- आमवात के रोगी के लिए दही का सेवन हानिकारक है। ताजा मीठा दही अल्पमात्रा में केवल दोपहर के भोजन में लिया जा सकता है। माँस, मसूर की दाल भी इसमें हानिकारक है।

(4) कैल्षियम, फास्फोरस- यदि रोग का प्रभाव हड्डियों पर हो जाये तो कैल्षियम, फास्फोरस वाले पदार्थ अधिक लें।

(5) अंकुरित अन्न- अंकुरित अन्न का सेवन भी आमवात में लाभकारी है।

(6) टमाटर- गठियावाय के रोगी के लिए टमाटर लाभदायक है।

(7) पोदीना- 50 पत्ती हरा पोदीना या आधा चम्मच पिसा हुआ सूखा पोदीना एक गिलास पानी में उबालें। उबालते हुए आधा पानी रहने पर छानकर नित्य दो बार पीयें। गठिया के दर्द में यह लाभ करता है।

(8) गाजर- गाजर का रस सन्धिवात, गठिया को ठीक करता है। गाजर, ककड़ी, चुकन्दर तीनों का रस समान मात्रा में मिलाकर पीने से शीघ्र लाभ होता है। यदि तीनों सब्जियाँ उपलब्ध न हों तो जो मिलें उन्हीं का मिश्रित रस पीना चाहिए।

(9) आलू- पजामें या पतलून के दोनों जेबों में लगातार एक छोटा-सा आलू रखें तो यह आमवात से रक्षा करता है। आलू खिलाने से भी बहुत लाभ होता है। कच्चा आलू पीसकर वातरक्त में अँगूठे पर लगाने से दर्द कम होता है। दर्द वाले स्थान पर लेप भी करें।

(10) प्याज- प्याज का रस तथा सरसों का तेल समान मात्रा में मिला कर दर्द ग्रस्त अंगों पर मालिष करने से लाभ होता है।

(11) शहद- संधिवात ग्रस्त लोगों को लम्बे समय तक शहद बहुतायत में खाना चाहिए। इससे बहुत लाभ मिलता है। जोड़ों का दर्द कम होता है।

(12) हींग- जोड़ों में दर्द हो, पैर में दर्द हो तो चने की दाल के बराबर हींग की फँकी पानी से एक बार नित्य एक महीना लें।

(13) ककड़ी- यूरिक एसिड की अधिकता से वात रोग हो तो ककड़ी और गाजर का रस आधा-आधा गिलास मिलाकर पीने से लाभ होता है। केवल ककड़ी का रस भी पी सकते है।

(14) तिल- तिल के तेल की मालिष करने से वात रोग में लाभ होता है।
गठिया या वायु के कारण शरीर में दर्द हो तो सौंठ 20 ग्राम, अखरोट की गिरी 40 ग्राम तथा काला तिल 160 ग्राम एक साथ कूट-पीसकर 100 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर रख लें। सुबह-षाम 20-20 ग्राम की मात्रा में गरम जल से सेवन करें।


(15) नमक- गठिया के रोग में रक्त में खटाई की प्रधानता हो जाती है, नमक खाने से यह खटाई बढ़ती है। अतः गठिया के रोगी को नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।

(16) तुलसी- तुलसी के पत्तों को उबालते हुए इसकी भाप वात ग्रस्त अंगों पर दें तथा इसके गर्म पानी से धोयें। तुलसी के पत्ते, काली मिर्च, गाय का घी- तीनों मिलाकर सेवन करें। इससे वातव्याधि में लाभ होता है।
असगंद- असगंद और देषी बूरा(खांड) समान मात्रा में पीस कर मिलाकर तीन चम्मच सुबह-षाम गर्म दूध से फँकी लें।

(17) अदरक- वात, कमर, जाँघें, गृधसी दर्दों में अदरक के रस में घी या शहद मिलाकर पीना चाहिए। दस ग्राम सौंठ, सौ ग्राम पानी में उबालकर ठण्डा होने पर स्वादानुसार शक्कर या शहद मिलाकर पिलायें। यह अनुभूत है। सौंठ और हरड़ समान मात्रा में मिलाकर पीस कर दो बार रोजाना गर्म पानी से फँकी लें। जोड़ों के दर्द में लाभ होगा।

(18) चाय- चाय पेशाब में यूरिक एसिड बढ़ाती है। उससे जोड़ों का दर्द व वजन बढ़ता हैं। अतः इस तरह के रोगियों को चाय नहीं पीनी चाहिए।  

(19) नमक- सूजन वाले स्थान पर नमक या बालू मिट्टी की पोटली से सेक करें।

(20) कुलथी- 60 ग्राम कुलथी एक किलोे पानी में उबालें। चैथाई पानी रहने पर छानकर उसमें थोड़ा सेंधा नमक और आधा चम्मच पिसी हुई सौंठ मिलाकर पीने से लाभ होता है।

(21) रेत- रेत तवे पर सेक कर कपड़े में पोटली बाँध कर दर्द ग्रस्त अंगों का सेक करें।
भाप से स्नान और शरीर की मालिश गठिया के रोग में काफी हद तक लाभ देते हैं।

(22) समुद्र में स्नान करने से भी गठिया के रोग में काफी तक आराम मिलता है।

(23)  सुबह उठते ही आलू का ताज़ा रस और पानी को बराबर अनुपात में मिलाकर सेवन करने से भी काफी फायदा मिलता है।

(24) गठिया के रोगी को ना ही ज्यादा देर तक खाली बैठना चाहिए और न ही आवश्यकता से अधिक परिश्रम करना चाहिए, क्योंकि गतिहीनता के कारण जोड़ों में अकड़न हो जाती है, और अधिक परिश्रम से अस्थिबंध को हानि पहुँच सकती है। 

(25) चुकन्दर- चुकन्दर खाने से जोड़ों का दर्द दूर होता है। 

(26) नियमित रूप से ६ से ५० ग्राम अदरक के पाउडर का सेवन करने से भी गठिया के रोग में फायदा मिलता है।

(27) सोने से पहले दर्द वाली जगह पर सिरके से मालिश करने से भी पीड़ा काफी कम हो जाती है।

(28)  अरंडी का तेल मलने से भी गठिया का रोग कम हो जाता है।

(29) जैतून के तेल से भी मालिश करने से भी गठिया की पीड़ा काफी कम हो जाती है।

(30) जस्ता, विटामिन सी और कैल्सियम के सप्लीमेंट का अतिरिक्त डोज़ सेवन करने से भी काफी लाभ मिलता है।


(31) लहसुन- (1) एक गाँठ लहसुन छील कर रात को एक कप पानी में डाल दें। प्रातः पीस कर उसी पानी में घोल कर पीजिये। इसके बाद एक चम्मच मक्खन खायें। इस प्रकार एक सप्ताह लें। एक सप्ताह बाद दो गाँठ इसी प्रकार दूसरे सप्ताह में, तीसरे सप्ताह में तीन गाँठ नित्य इसी प्रकार लें। वात रोग में लाभ होगा।
(2) लहसुन के तेल की मालिष प्रतिदिन करनी चाहिए। लहसुन की एक बड़ी गाँठ को साफ करके, दो-दो टुकड़े करके दूध में उबाल लेना चाहिए। इस प्रकार तैयार की गई लहसुन की खीर 6 सप्ताह पीने से गठिया दूर हो जाती है। यह दूध रात को पीना चाहिए। दूध की खीर, लहसुन को दूध में पीसकर, उबाल कर भी ले सकते हैं। मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाते जाना चाहिए। खटाई, मिठाई का परहेज रखना चाहिए। लहसुन को पीसकर तिल के तेल में मिलाकर खाने से वात रोग में शीघ्र लाभ होता है। यह परीक्षित है।
(3) आधा चम्मच लहसुन का रस एक चम्मच गर्म घी में मिला कर सुबह-षाम नित्य पीने से आमवात में लाभ होता है।


(32) मेथी- (1) वायु एवं वात रोगों में मेथी का शाक लाभ करता है। मेथी को घी में भूनकर पीसकर छोटे-छोटे लड्डू बनाकर दस दिन सुबह-षाम खाने से वात-पीड़ा में लाभ होता है। गुड़ में मेथी का पाक बनाकर खिलाने से गठिया मिटती है।
(2) चाय की चार चम्मच दाना मेथी रात को एक गिलास पानी में भिगों दें। प्रातः पानी छानकर हल्का गर्म करके पीने से लाभ होता है। भीगी मेथी को अंकुरित करके खायें।
(3) दो चम्मच दाना मेथी को दो कप पानी में उबालकर जब आधा पानी रहे तो पानी नित्य दो बार एक महीना पीएँ। इससे गठिया, कमर-दर्द और कब्ज में लाभ होता है।


(33) अजवाइन- (1) अजवाइन का अर्क या अजवाइन का तेल जोड़ों पर मलने से दर्द दूर हो जाता है। अजवाइन को तिल के तेल में उबाल कर तेल बना लें।
(2) एक चम्मच पिसी हुई अजवाइन में स्वादानुसार नमक मिलाकर प्रातः भूखे पेट गर्म पानी से नित्य फाकी लें।
(3) दो गिलास पानी में दो चम्मच अजवाइन और दो चम्मच नमक डालकर उबालें। फिर इसे सहन होने जैसा गर्म रहने पर कपड़ा भिगों कर दर्द वाले अंग का सेक करें।