तेज गर्मी से बचने के घरेलू , देशी व आयुर्वेदिक तरीके
प्रिय दोस्तो , कोई हजारों में से एक होगा जो ये कहेगा कि शर्दी चली जाए और गर्मी आ जाए लेकिन सभी प्रकार के मौसम का होना बहुत जरूरी है। क्योंकि हर जीव-जन्तु , प्राणी , पेड़ - पोधे मौसम पर ही निर्भर रहते हैं। हम अपने आप को बड़ा भाग्यशाली मानते हैं कि हमे ये सभी मौसम का आनन्द मिल रहा है। आज हम ज्ञान गुरु से जानेगे तेज गर्मी से बचने के घरेलू , देशी व आयुर्वेदिक तरीके जो निचे दिए गए हैं :-
तेज गर्मी से बचने के घरेलू , देशी व आयुर्वेदिक तरीके :-
इमली के बीज को पीसकर उसे पानी में घोलकर कपड़े से छान लें। इस पानी में शक्कर मिलाकर पीने से गर्मी में राहत मिलती है।
इस मौसम में दही, मौसमी ताजे फल जैसे संतरा, पपीता, स्ट्रॉबेरी, ग्रेप का जूस ज्यादा से ज्यादा पीये। ये हेल्थी होने के साथ-साथ शरीर को अंदर से ठंडा रखने में सहायक होते हैं।
एक बोतल में आप परफ्यूम की थोड़ी सी बूँदों के साथ ज्यादा मात्रा पानी मिला लें। स्प्रे बोतल की तरह इसका इस्तेमाल करें, इससे आप रिफ्रेश महसूस करेंगे।
किसी भी तरह की अपच,अजीर्णता, पित्त की अधिकता, पेट दर्द, गैस में जलजीरा लाभकारी होता है।
कैलेमाइन लोशन या ऐंटि - इन्फ्लेमेट्री यानी सूजन और जलन से राहत दिलाने वाले लोशन हाइड्रोकॉर्टिसोन (Hydrocortisone) लगा सकते हैं। यह जेनरिक नेम है और मार्केट में अलग - अलग ब्रैंड नेम से मिलता है।
गर्मी के कारण हाथ पैरो मे दर्द और जी घबराने से ठंडे पानी की पट्टी शरीर पे रखना बड़ा फयदेमंद होता है. चेहरे, पेट पर ठंडे पानी मे कपड़ा भिगोकर कर रखे गर्मी मे बहुत आराम मिलेगा.
गर्मी के मौसम में जीरा-नमक डालकर छांछ पीना भी फायदेमंद होता है।
गर्मी मे आवले का शरबत पीने से बार-बार प्यास नही लगती है और गरमी के रोगो से बचाव होता है.
गर्मी मे खाने से बाद कुछ देर लेट कर आराम ज़रूर करे .
गर्मी मे बार-बार आँखो पर ठंडा पानी की छींटे मरने से आँखे तरो-ताज़ा और स्वास्थ्य रहती है.
गर्मी मे भूखे पेट बाहर नही जाए. धूप मे सर ढाका हुआ रखे.
गर्मी में अधिक शुष्कता के कारण शरीर में जल की मात्रा कम हो जाती है। इसकी पूर्ति के लिए बार-बार जल और जलीय पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
गर्मी से चक्कर, उल्टी, दिल धड़कने लगता हो तो कोरी हंडी मे 100 ग्राम पीसा हुआ धनिया और आधा किलो पानी डाल दे. एक घंटे तक पड़ा रहने दे. फिर इसमे से आधा कप पानी छानकर 5 बतासे डालकर हर 3 घंटे से पिए. तेज़ गर्मी के कारण पैदा हुए सभी रोग ठीक हो जाएगे.
गर्मी से बचने के लिए रोजाना शहतूत खाए.
घमौरियां हो जाने पर नीम और तुलसी का पेस्ट लगाना फायदेमंद होता है। गुलाब की पत्तियों को पानी में भिगोकर उस पानी से चेहरा धोने पर गर्मी के मौसम में त्वचा मुलायम बनी रहती है।
घरेलू उपाय भी आजमा सकते हैं। आधा कप दही में आधा नीबू निचोड़ कर अच्छी तरह मिला लें। फ्रिज में रख लें और रात को सोने से पहले क्रीम की तरह लगा लें। पांच मिनट बाद इसके ऊपर से हल्का मॉइस्चराइजर भी लगा सकते हैं। राहत मिलेगी। मुल्तानी मिट्टी में गुलाब जल मिलाकर भी लगा सकते हैं।
चावल की प्रकृति ठंडी होती है. पेट मे गर्मी भारी होने पर और गर्मी के मौसम मे रोज चावल खाने से गर्मी मे रहत मिलती है.
चेहरे पर पीसी हुई चंदन और खीरे के जूस के साथ दो-तीन बूंद ग्लिसरीन की बूंदें और गुलाब जल मिलाकर उसका लेप लगाने पर भी राहत मिलती है।
जहां तक हो सके गर्मियों में विटामिन ए युक्त फ्रूस्टी जैसे ब्लैक ग्रेप्स, हरे पत्ते वाली वेजिटेबल्स, विटामिन सी से युक्त रसीले फ्रूट्स जैसे आम, खट्टे फ्रूट्स और नींबू पानी लेने चाहिए।
जौ का सत्तू शरीर मे ठंडक देता है और शरीर मे गर्मी बर्दास्त करने छमता पैदा करता है.
ज्यादा खुजली हो तो डॉक्टर ऐंटि - अलर्जिक गोली सिट्रिजिन (Cetirizine) खाने की सलाह देते हैं। यह भी जेनरिक नाम है। जब तक सनबर्न ठीक न हो , धूप से बचें।
धनिए को पानी में भिगो लें फिर उसे अच्छी तरह मसल लें और छानकर उसमें थोड़ी सी शकर मिला लें। इसे पीने से गर्मियों में राहत मिलती है।
नारियल में प्रचूर मात्रा में पौष्टिक तत्व होते है। गर्मी में इसका सेवन सबसे अच्छा होता है।
नीबू की शिकंजी गर्मी के लिए बहुत अच्छा पेय है। इसे घर में आसानी से तैयार किया जा सकता है।
नॉन - ऑइली सनस्क्रीन लगाएं। ढीले , पूरी बाजू के , हल्के रंग के कॉटन के कपड़े पहनें। बाहर जाते हुए छाते का इस्तेमाल जरूर करें। सुबह 10 बजे से शाम 3 बजे तक धूप में निकलने से बचें। बाहर निकलें तो काले रंग की छतरी लेकर जाएं। खूब पानी पिएं।
पिसी हुई चंदन, तुलसी और गुलाब आदि नेचुरल चीजें लगाने से गर्मी में राहत मिलती है। धूप से आने के कुछ घंटों बाद मुल्तानी मिट्टी और चंदन पाउडर लगाने से आपकी त्वचा को ठंडक महसूस होगी।
पुदीने में प्राकृतिक रूप से पिपरमिंट पाया जाता है, इसलिए गर्मी में यह बहुत उपयोगी होता है। लू, बुखार, शरीर में जलन और गैस की तकलीफ को दूर करता है।
पूरे उत्तर भारत में गर्मी के मौसम में ठंडाई का उपयोग खूब होता है।
बेल का शरबत गर्मी के लिए बहुत उत्तम माना जाता है। गर्मी में मोटापा घटाने में भी यह सहायक होता है।
सादा पानी आपकी त्वचा को तरोताजा रखता है। आप अगर बहुत थकान महसूस कर रहे हैं तो पानी के छीटों से आप ताजा महसूस करेंगे।
सुबह उगते हुए सूरज की किरणों मे 15 मिनट नंगे बदन रोज रहे। इसके बाद ठंडे पानी मे मल-मलकर रगड़ के नहा ले
हरड़ पीसकर बराबर मात्रा मे गुड मिलकर मटर के दाने के बराबर गोलिया बना ले. रोज सुबह गर्मी के मौसम मे सुबह नाश्ते के बाद 2 गोली खाकर पानी पिए. इससे गर्मी के मौसम मे होने रोग नही होगे.
सन प्रोटेक्शन फैक्टर को लेकर अक्सर लोगों को गलतफहमी होती है , मसलन ज्यादा - से - ज्यादा एसपीएफ का सनस्क्रीन लगना बेहतर है। असल में , हम भारतीयों की स्किन टाइप 3 और टाइप 4 कैटिगरी में आती है। बहुत गोरे लोगों की स्किन टाइप 1 व टाइप 2 होती है और बेहद काले ( नीग्रो आदि ) की टाइप 5 व 6 कैटिगरी में आती है। ऐसे में हम लोगों के लिए 30 एसपीएफ काफी है। सांवली स्किन वाले लोगों को भी 15-30 एसपीएफ का सनस्क्रीन यूज करना चाहिए। यह धारणा गलत है कि सांवले लोगों को सनस्क्रीन इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बच्चों को पांच साल की उम्र के बाद ही सनस्क्रीन लगाएं।
सनस्क्रीन दो तरह के होते हैं : एक जो सूरज की किरणों को ब्लॉक करते हैं। ये तभी तक काम करते हैं , जब तक स्किन पर मौजूद रहते हैं। दूसरी तरह के सनस्क्रीन केमिकल आधारित होते हैं और स्किन में समाकर अंदर से सुरक्षा देते हैं। इन्हें बेहतर माना जाता है। हालांकि आजकल दोनों फैक्टरों को मिलाकर तैयार किए गए सनस्क्रीन मार्केट में ज्यादा मिलते हैं। सनस्क्रीन वॉटर बेस्ड लगाना चाहिए और सूरज में निकलने से कम - से - कम 10-15 मिनट पहले लगाना जरूरी है। अगर धूप में रहना है तो हर दो घंटे बाद फिर से लगाना चाहिए। यह झुर्रियां आने की रफ्तार कम करता है। घर में ही रहना है तो सनस्क्रीन लगाना जरूरी नहीं है।
तेज गर्मी से बचने के घरेलू , देशी व आयुर्वेदिक तरीके :-
इमली के बीज को पीसकर उसे पानी में घोलकर कपड़े से छान लें। इस पानी में शक्कर मिलाकर पीने से गर्मी में राहत मिलती है।
इस मौसम में दही, मौसमी ताजे फल जैसे संतरा, पपीता, स्ट्रॉबेरी, ग्रेप का जूस ज्यादा से ज्यादा पीये। ये हेल्थी होने के साथ-साथ शरीर को अंदर से ठंडा रखने में सहायक होते हैं।
एक बोतल में आप परफ्यूम की थोड़ी सी बूँदों के साथ ज्यादा मात्रा पानी मिला लें। स्प्रे बोतल की तरह इसका इस्तेमाल करें, इससे आप रिफ्रेश महसूस करेंगे।
किसी भी तरह की अपच,अजीर्णता, पित्त की अधिकता, पेट दर्द, गैस में जलजीरा लाभकारी होता है।
कैलेमाइन लोशन या ऐंटि - इन्फ्लेमेट्री यानी सूजन और जलन से राहत दिलाने वाले लोशन हाइड्रोकॉर्टिसोन (Hydrocortisone) लगा सकते हैं। यह जेनरिक नेम है और मार्केट में अलग - अलग ब्रैंड नेम से मिलता है।
गर्मी के कारण हाथ पैरो मे दर्द और जी घबराने से ठंडे पानी की पट्टी शरीर पे रखना बड़ा फयदेमंद होता है. चेहरे, पेट पर ठंडे पानी मे कपड़ा भिगोकर कर रखे गर्मी मे बहुत आराम मिलेगा.
गर्मी के मौसम में जीरा-नमक डालकर छांछ पीना भी फायदेमंद होता है।
गर्मी मे आवले का शरबत पीने से बार-बार प्यास नही लगती है और गरमी के रोगो से बचाव होता है.
गर्मी मे खाने से बाद कुछ देर लेट कर आराम ज़रूर करे .
गर्मी मे बार-बार आँखो पर ठंडा पानी की छींटे मरने से आँखे तरो-ताज़ा और स्वास्थ्य रहती है.
गर्मी मे भूखे पेट बाहर नही जाए. धूप मे सर ढाका हुआ रखे.
गर्मी में अधिक शुष्कता के कारण शरीर में जल की मात्रा कम हो जाती है। इसकी पूर्ति के लिए बार-बार जल और जलीय पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
गर्मी से चक्कर, उल्टी, दिल धड़कने लगता हो तो कोरी हंडी मे 100 ग्राम पीसा हुआ धनिया और आधा किलो पानी डाल दे. एक घंटे तक पड़ा रहने दे. फिर इसमे से आधा कप पानी छानकर 5 बतासे डालकर हर 3 घंटे से पिए. तेज़ गर्मी के कारण पैदा हुए सभी रोग ठीक हो जाएगे.
गर्मी से बचने के लिए रोजाना शहतूत खाए.
घमौरियां हो जाने पर नीम और तुलसी का पेस्ट लगाना फायदेमंद होता है। गुलाब की पत्तियों को पानी में भिगोकर उस पानी से चेहरा धोने पर गर्मी के मौसम में त्वचा मुलायम बनी रहती है।
घरेलू उपाय भी आजमा सकते हैं। आधा कप दही में आधा नीबू निचोड़ कर अच्छी तरह मिला लें। फ्रिज में रख लें और रात को सोने से पहले क्रीम की तरह लगा लें। पांच मिनट बाद इसके ऊपर से हल्का मॉइस्चराइजर भी लगा सकते हैं। राहत मिलेगी। मुल्तानी मिट्टी में गुलाब जल मिलाकर भी लगा सकते हैं।
चावल की प्रकृति ठंडी होती है. पेट मे गर्मी भारी होने पर और गर्मी के मौसम मे रोज चावल खाने से गर्मी मे रहत मिलती है.
चेहरे पर पीसी हुई चंदन और खीरे के जूस के साथ दो-तीन बूंद ग्लिसरीन की बूंदें और गुलाब जल मिलाकर उसका लेप लगाने पर भी राहत मिलती है।
जहां तक हो सके गर्मियों में विटामिन ए युक्त फ्रूस्टी जैसे ब्लैक ग्रेप्स, हरे पत्ते वाली वेजिटेबल्स, विटामिन सी से युक्त रसीले फ्रूट्स जैसे आम, खट्टे फ्रूट्स और नींबू पानी लेने चाहिए।
जौ का सत्तू शरीर मे ठंडक देता है और शरीर मे गर्मी बर्दास्त करने छमता पैदा करता है.
ज्यादा खुजली हो तो डॉक्टर ऐंटि - अलर्जिक गोली सिट्रिजिन (Cetirizine) खाने की सलाह देते हैं। यह भी जेनरिक नाम है। जब तक सनबर्न ठीक न हो , धूप से बचें।
धनिए को पानी में भिगो लें फिर उसे अच्छी तरह मसल लें और छानकर उसमें थोड़ी सी शकर मिला लें। इसे पीने से गर्मियों में राहत मिलती है।
नारियल में प्रचूर मात्रा में पौष्टिक तत्व होते है। गर्मी में इसका सेवन सबसे अच्छा होता है।
नीबू की शिकंजी गर्मी के लिए बहुत अच्छा पेय है। इसे घर में आसानी से तैयार किया जा सकता है।
नॉन - ऑइली सनस्क्रीन लगाएं। ढीले , पूरी बाजू के , हल्के रंग के कॉटन के कपड़े पहनें। बाहर जाते हुए छाते का इस्तेमाल जरूर करें। सुबह 10 बजे से शाम 3 बजे तक धूप में निकलने से बचें। बाहर निकलें तो काले रंग की छतरी लेकर जाएं। खूब पानी पिएं।
पिसी हुई चंदन, तुलसी और गुलाब आदि नेचुरल चीजें लगाने से गर्मी में राहत मिलती है। धूप से आने के कुछ घंटों बाद मुल्तानी मिट्टी और चंदन पाउडर लगाने से आपकी त्वचा को ठंडक महसूस होगी।
पुदीने में प्राकृतिक रूप से पिपरमिंट पाया जाता है, इसलिए गर्मी में यह बहुत उपयोगी होता है। लू, बुखार, शरीर में जलन और गैस की तकलीफ को दूर करता है।
पूरे उत्तर भारत में गर्मी के मौसम में ठंडाई का उपयोग खूब होता है।
बेल का शरबत गर्मी के लिए बहुत उत्तम माना जाता है। गर्मी में मोटापा घटाने में भी यह सहायक होता है।
सादा पानी आपकी त्वचा को तरोताजा रखता है। आप अगर बहुत थकान महसूस कर रहे हैं तो पानी के छीटों से आप ताजा महसूस करेंगे।
सुबह उगते हुए सूरज की किरणों मे 15 मिनट नंगे बदन रोज रहे। इसके बाद ठंडे पानी मे मल-मलकर रगड़ के नहा ले
हरड़ पीसकर बराबर मात्रा मे गुड मिलकर मटर के दाने के बराबर गोलिया बना ले. रोज सुबह गर्मी के मौसम मे सुबह नाश्ते के बाद 2 गोली खाकर पानी पिए. इससे गर्मी के मौसम मे होने रोग नही होगे.
सन प्रोटेक्शन फैक्टर को लेकर अक्सर लोगों को गलतफहमी होती है , मसलन ज्यादा - से - ज्यादा एसपीएफ का सनस्क्रीन लगना बेहतर है। असल में , हम भारतीयों की स्किन टाइप 3 और टाइप 4 कैटिगरी में आती है। बहुत गोरे लोगों की स्किन टाइप 1 व टाइप 2 होती है और बेहद काले ( नीग्रो आदि ) की टाइप 5 व 6 कैटिगरी में आती है। ऐसे में हम लोगों के लिए 30 एसपीएफ काफी है। सांवली स्किन वाले लोगों को भी 15-30 एसपीएफ का सनस्क्रीन यूज करना चाहिए। यह धारणा गलत है कि सांवले लोगों को सनस्क्रीन इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बच्चों को पांच साल की उम्र के बाद ही सनस्क्रीन लगाएं।
सनस्क्रीन दो तरह के होते हैं : एक जो सूरज की किरणों को ब्लॉक करते हैं। ये तभी तक काम करते हैं , जब तक स्किन पर मौजूद रहते हैं। दूसरी तरह के सनस्क्रीन केमिकल आधारित होते हैं और स्किन में समाकर अंदर से सुरक्षा देते हैं। इन्हें बेहतर माना जाता है। हालांकि आजकल दोनों फैक्टरों को मिलाकर तैयार किए गए सनस्क्रीन मार्केट में ज्यादा मिलते हैं। सनस्क्रीन वॉटर बेस्ड लगाना चाहिए और सूरज में निकलने से कम - से - कम 10-15 मिनट पहले लगाना जरूरी है। अगर धूप में रहना है तो हर दो घंटे बाद फिर से लगाना चाहिए। यह झुर्रियां आने की रफ्तार कम करता है। घर में ही रहना है तो सनस्क्रीन लगाना जरूरी नहीं है।