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कान में होने वाली बीमारियों के देशी उपाय /

हमारे शरीर की पांच इन्द्रयों में कान भी एक अहम भूमिका निभाता है जिसे हम अन्य व्यक्ति के विचार सुन सकते हैं इसलिए शरीर के हर अंग का अपना अलग अलग महत्व माना जाता है हमे हमारे शरीर के हर हिस्से की देखभाल अच्छी तरह से करनी चाहिए। फिर भी यदि कोई दुर्भाग्यवस किसी अंग में कोई दिक्कत हो तो समय पर उसका इलाज़ जरुर करवाएं


कान के रोग के लक्षण:-

(1) एक घंटे या उससे भी ज्यादा  समय तक कान में दर्द होना, कान से तरल पदार्थ का बहना या मवाद बहना
(2) कान के दर्द के साथ बुखार भी आ जाना
(3) कान के दर्द के साथ सिर दर्द होना आदि  कान के रोग के लक्षण होते हैं।


कान में दर्द के कारण (Kaan Me Dard Ke Karan):-

(1) सर्दी लगने की वजह से कान में दर्द हो सकता है.
(2) कान को  बार-बार कुरादने या खोदने से कान मे दर्द या Ear Pain हो सकता है.
(3) कान मे पानी चले जाने से भी कान में दर्द होता है.
(4) कान मे चोट या घाव होने से भी कान दर्द करता है.
(5) अगर कान मे अधिक या ज्यादा गंदगी या खूट या मल हो जाने से भी कान दर्द हो जाता है या कान मे फुंसी होने भी कान दर्द करता है.
(6) कान मे सूजन होने भी कान दर्द करता है.
(7) कान छेदने से भी कान दर्द होता है.



कान बहाने के कारण:-

(1) पुराना जुखाम या आपको लंबे से समय से जुखाम है तो आपका कान बहने लगता है.
(2) अगर कान मे गंदा पानी चला जाए तो भी कान बहने लगता है.
(3) खसरा की बीमारी होने भी कान बहता है.
(4) बहुत ज्यादा खांसी आने पर या काली खाँसी होने से भी कान बहने लगता है. कान बहने या दर्द के भूत कारण हो सकते है पर नीचे लिखे कोई भी घरेलू देसी उपचार या इलाज अपना कर अपने कान दर्द या कान बहने को रोक सकते है.


कान मे आवाज़ होने के कारण:-

कान मे आवाज़ होने के कारण- कान मे आवाज़ होने के रोग मे कान मे गुन गुन या फस-फस या घंटिया बजने के आवाज़ आती है. दिमागी दुर्बलता के कारण, कान मे खुसकी होने पर, कान मे कीड़ा चले जाने से कान मे अजीब तरह की आवाज़ सुनाई देती है.



कान के रोगो के घरेलु उपचार:-

कान में पानी भरना स्नान करते समय, तैरने पर, भीगने से कभी-कभी कान में पानी भर जाता है और पूरा बाहर नही निकलता। कान में पानी रह जाए तो-
(1) तिल का तेल गर्म करके कान में डालें।
(2)जिस कान में पानी भरा हो, उसी ओर के एक पैर पर खडे़ हो कर, उसी ओर सिर झुका कर कुछ देर कूदें। पानी बाहर निकल जाएगा।


बहरापन के घरेलु उपचार:-

लहसुन- लहसुन की आठ कलियों को एक छटाँक तिल के तेल में तल कर उसकी दो बूँद कान में टपकने से कुछ दिनों में कान का बहरापन ठीक हो जाता है।
सरसों का तेल- सरसों का तेल गर्म करके कान में डालने से बहरेपन में लाभ होता है।
बेल: कान के रोग के में बेल  का उपयोग बहुत फायदेमंद होता है, यह एक घरेलु उपचार है. बेल के पेड़ की जड़ को नीम के तेल में डुबोकर उसे जला दें और जो तेल इसमें से रिसेगा, वह सीधे कान में डाल ले या जितना आप कान में बर्दास्त कर सकते उतना गरम कान में डाले । इससे कान के दर्द और संक्रमण ठीक हो जायेगा.
तुलसी- तुलसी के पत्तों का रस गर्म करके कान में डालने से सुनने की गड़बड़ में लाभ होता है।

कर्णनाद में कभी-कभी कान में सीटी बजने, भन-भन की आवाज होती रहती है। यह रात को अधिक सुनाई देती है। यह रोग यदि ठीक न हो तो धीरे-धीरे बहरापन उत्पन्न हो जाता है। कान में आवाज होना आसाध्य रोग माना जाता है, लेकिन निराष नहीं होकर निम्न उपचार करें- कान में होने वाली आवाज की ओर ध्यान ही न दें। मस्तिष्क की कमजोरी दूर करने वाली चीजें खायें।

लहसुन- कान बहने के लिए बताया गया प्रयोग कर्णनाद में भी लाभदायक है।

सरसों का तेल- सरसों का तेल गर्म करके कान में डालने से सर्दी से होने वाली कान की गुनगुनाहट मिटती है।

नीम: नीम  एंटी-सेप्टिक होता हैं, जो कान के संक्रमण को ठीक करता है  हैं जो कान में रोग या दर्द  पैदा करते हैं।
अदरक के रस और प्याज़ के रस के प्रयोग से भी कान के दर्द को ठीक और ख़त्म करता है ।
सौंठ- एक चम्मच सौंठ में गुड़ और घी मिलाकर गर्म करें फिर प्रतिदिन दो बार खायें। उससे कान में साँय-साँय की आवाज ठीक होती है।



कान बहने के उपाय :-

नीबू- प्रातः पानी में नीबू निचोड़ कर नित्य पीने से कान बहने में लाभ होता है।

लहसुन- एक कली लहसुन और 1 तोला सिन्दूर को एक छटाँक तिल्ली के तेल में डालकर आग में पकायें। जब पक्क जाए तब उसको ठंडा करके कान में डालने से आराम मिलेगा ।

लहसुन जल जाये तो तेल को छानकर शीषी भर लें। इसकी दो बूँद नित्य कान में डालने से मवाद आना, खुजलाहट, कर्णनाद आदि रोग नष्ट हो जाते है। लहसुन को सरसों के तेल में उबाल कर कान में टपकाने से कान का दर्द, जख्म, पीप बहना ठीक हो जाते है।

प्याज- कान में दर्द, कान में पीप और कान में शायें-शायें की आवाज हो और बहरापन होने पर प्याज के रस को थोड़ा गर्म करके 5-7 बूँद कान में डालने से लाभ होता है।



सरसों का तेल से उपाय :-
(1) सरसों का तेल गर्म करके कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
(2) सरसों के तेल में लौंग जलाकर, तेल कान में डालने से लाभ होता है। कान में कीड़ा चला गया हो, कान में आवाज होती हो, बहरापन हो तो सरसों का तेल डालें। लाभ होगा।
(3) सरसों के तेल में लहसुन उबाल कर छान लें। इसे कान में डालने से कान का दर्द, घाव, मवाद बहना ठीक हो जाता है।
(4) प्याज के रस को भूनकर इसके रस को कान में डालने से राहत मिलती है।
(5) नीम- नीम के पत्ते पानी में डालकर उबालें। इसकी भाप का बफारा देने से कान का मैल निकल जाता है, कान के दर्द में आराम होता है।
(6) मेथी को गाय के दूध में मिलाकर उसकी कुछ बूँदें संक्रमित कान या जिस कान में दर्द है उसमे डालने से भी काफी आराम देता है और ठीक भी करता है।
(7) तिल के तेल में तली हुई लौंग की कुछ बूँदें भी कान के दर्द को ठीक करती है.
ब्राण्डी- ब्राण्डी की बूँद कान में डालने से कान का असहनीय दर्द ठीक हो जाता है।
(8) अदरक- सर्दी लगने, मैल जमने, फुन्सियाँ निकलने, चोटलगने से कान में दर्द हो तो अदरक के रस को कपड़े से छानकर गुनगुना गर्म करके तीन-चार बूँद डालने से दर्द ठीक हो जाता है। दर्द रहने पर थोड़ी देर बाद पुनः डाल सकते है।
(9) तुलसी: तुलसी का रस हल्का गरम करके कान में डालने से भी कान के रोगों और दर्द में काफी असरदार है.
(10) तुलसी- तुलसी के पत्तों का रस गर्म करके कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है। कान बहता हो तो लगातार कुछ दिन डालने से लाभ होता है।


कान में कीड़ा चला गया हो तो सरसों के तेल को गर्म करके डालने से कीड़ा बाहर आ जाता है।
फिटकरी- कान में चींटी चली जाए, इससे कान में सुरसुरी हो तो फिटकरी को पानी में घोलकर कान में डालें।



आयुर्वेदिक घरेलु उपचार कान दर्द और कान के रोगो के आयुर्वेदिक घरेलु उपचार :-


(1) सरसों का तेल २० मिलि बोरिक एसिड ५ ग्राम. पहले सासरो का तेल गर्म करके इसमें बोरिक एसिड मिलिए और हल्का गर्म रहने पर कान में डेल. कान का दर चाहे जितने पुराने सालो का हो या या १० या १०० साल पुराण कान का दर्द हो ठीक हो जायेगा और था ही कान से आने वाली पीप या मवाद भी आना बंद हो जायेगा. इस नुस्खे को १५ दिन तक प्रोयोग करे.
(2) मुलेठी को घी में मिलकर हल्का गर्म करके कान में आसपास लेप करे कान के दर्द में रहत मिलेंगे.
(3) अरंडी के पतों को गर्म तिल-तेल में डुबोकर दर्द वाले कान के आस पास सेकई करे.
(4) सरसों के तेल में अदरक का रस मिलकर गुगुणा करे. फिर उसकी कुछ बुँदे दर्दयुक्त कान में डाले जरूर रहत मिलेगी.
(5) गोंद के पतों का रस गुगुना करके कान में डाले. कर्णशूल मतलब कान के दर्द में आराम मिलेगा. थोड़ा हिंदी आप मजबूत करिये हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है.
(6) कान में मवाद या पीप आने पर गुग्गुल का धुँआ कान पे ले या कान के अंदर जाने दे पीप आना बंद हो जाएगी.
(7) नीम के पतों को पानी में उबले और उस पानी से कान को साफ़ करे. इसके बाद निबोली का तेल ग्राम करके उसकी २-४ बुँदे दिन २ बार कान में डाले. कान की खुजली में रहत मिलेगी या मिलती है.
(8) प्याज को गर्म करके राख में भूनकर उसका रास निचोड़कर कान में डाले दर्द में आराम मिलेगा.
(9) एक काली लहसुन एक तोला सिंदूर को एक १ ग्राम तिली के तेल में डालकर पकाये. जब लहसुन जल जाये तो तेल को छानकर शीशी में भर ले. इसकी २ बून्द रोज कान में डाले कान सभी रोगो में आराम मिलेगा.
(10) लहसुन मूली और अदरक का रास मिलकर हल्का गर्म करके कान में बून्द बून्द डालने से  कान में पाकी हुई फुंसी ख़त्म हो जाती है.
(11) पुदीने का रस कान में डालने से कान के कीड़े मर जाते  है.
(12) भुनी हुई फिटकरी चावल भर की मात्र में डालने बाद ऊपर से निम्बू का रस डालने से कान कर दर्द तुरंत बंद हो जाता है.


कान के रोग या बहने या दर्द के दौरान क्या खाए ?

कान की समस्या में मरीज को ऐसे खान पान के सेवन से बचना चाहिए जो कि उसके कान के रोगों को जन्म देनेवाले कफ के दोष को उग्र रूप दे सकते हैं। कान के रोग में कुछ परेहज जरूर करने चाहिए:-

खट्टी चीज़ों का, जैसे कि खट्टी दही और खट्टे फलों के सेवन से भी कफ का दोष बढ़ जाता है इसलिए खट्टी चीजो का प्रजा ज़रा भी न करे  है।

कान की समस्याओं के दौरान प्याज़, अदरक और लहसून का प्रयोग लाभकारी सिद्ध होता है। हल्दी भी अत्यधिक गुणकारी होता है, और इसे खान पान में मसाले की तरह प्रयोग करना चाहिए।

आपके कानो में गन्दा पानी न जाने पाये , इस बात का पूरा ध्यान रखें जिसके लिए आपको गंदे पानी में तैरने से या डुबकी लगाने से बचना चाहिए। अगर ऐसा करना जरुरी हो तो कान को किसी कवच से ढँक लिया करें।

केले, तरबूज, संतरे और पपीता के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि ये ठन्डे फल है इससे सर्दी आपके शरीर में बढ़ सकती है, जो आगे चलकर कान की समस्यों को बढ़ावा दे सकती है।