बवासीर के घरेलु व देशी उपचार / Bawasir Ke Gharelu Upchar
प्रिय दोस्तो , यदि हमारे एक नुस्खे से किसी को कोई लाभ होता है। तो ये हमारे जीवन की सबसे बड़ी कामयाबी होगी। इसलिए दोस्तो जो करो दूसरों की भलाई के लिए करके देखो तो बड़ा सकुन महसूस होगा ।इसलिए आज आप के माध्यम से हम बवासीर के इलाज की जानकारी लोगों तक पहुँचाने जा रहे हैं। शायद हमारे उपाय से किसी का भला हो जाए।
बवासीर के लक्षण -
बवासीर के रोग को तो हम सभी जानते है यह रोग भी कम दुखदायी नहीं है। इसके मुख्य दो प्रकार माने जाते है -
1) बादी बवासीर 2) खुनी बवासीर
बादी बवासीर को रोगी जैसे-तैसे सामान्य रूप में स्वीकार कर भी लेता है, लेकिन खुनी बवासीर बहुत ज्यादा कष्टकारी होती है। खुनी बवासीर का दर्द असहनीय होता है इसमें ज्यादा पीड़ा होती है ।
बवासीर के घरेलु व देशी उपचार :-
करेले के रस में मिश्री मिलाकर पीने से बवासीर ठीक हो जाता है।
जले हुए गेंहू 6 ग्राम पीसकर 20 ग्राम मक्खन के साथ सेवन करे।
एक चम्मच अरण्ड का तेल दूध में मिलाकर रात को सोने से पहले ले।
कड़वी तोरई की जड़ का बवासीर मस्सों पर लेप करने ठीक हो जाते है।
जिमीकन्द को भूनकर दही के साथ सेवन करे बवासीर ठीक हो जायेगा।
मूली का रस लगभग ५० ग्राम रोज सेवन करने से बवासीर ठीक हो जाता है।
नीम के बीजों का तेल मस्सों पर लागने से बवासीर जड़ से ख़त्म हो जाता है।
बेल का मुरब्बा या कच्चे बेल का फल भूनकर खाने से बवासीर खत्म हो जाता है।
दोपहर के भोजन के घण्टे के बाद ५०० ग्राम पपीते का सेवन करे.बवासीर ठीक हो जाता है।
कनेर, आक औरसहजन के पत्तेपीसकर बवासीर के मस्से पर लेप करने से ठीक हो जाते है।
काले तिल 2 ग्राम लेकर मिश्री के साथ सुबह के समय सेवन करे बवासीर ठीक हो जाता है।
नीम के पत्तियों को कूट पीसकर बवासीर वाली जगह पे लागने से बवासीर ठीक हो जाता है।
नीम, कनेर के पत्तो को बारीक पीसकर मस्सों पर लेप करे बवासीर के मस्से ठीक हो जाएंगे।
दही के साथ प्याज की चटनी रोज सेवन करने से दो सप्ताह में बवासीर लाभ होता नजर आएगा।
नीम तथा कनेर के पत्तो पीसकर उसका लेप बवासीर के मस्सों पर करने से बवासीर ठीक हो जाता है।
लाल चन्दन, चिरायता, साथ, धमासा बराबर मात्रा में लेकर क्वाथ बनाकर लेने से बवासीर ठीक हो जाता है।
थूहर का दूध और हल्दी का चूर्ण मिलाकर मस्सों पर ज़रा-सा लगा देना चाहिए. बवासीर के मस्से सुख जाएंगे।
शहद और गाय का घी बराबर मात्रा मिलकर बवासीर के मस्सों पर लागने से 2-3 सप्ताह में मस्से सुख जाएंगे।
नीम की 8-9 कोपले, आधा चम्मच पीसी हुई काली मिर्च का 10 गरम शहद के साथ पीने से बवासीर ठीक हो जाता है।
सफ़ेद मूली को काटकर, नमक लगाकर रात को ओस में रख ले। सुबह उठकर खाली पेट वह मूली खाये तो आराम मिलता है।
खुनी-बवासीर में बबूल के बाँदा को काली मिर्च के साथपीसकर पीए। 4-5 खुराक में खून निकलना बंद हो जायेगा। खुनी बवासीर ठीक हो जाएगी।
दोपहर के खाने के बाद एक गिलास छाछ में एक छोटा चम्मच अजवाइन चूर्ण, हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर रोज पीने से बवासीर ठीक हो जाती है।
बेल की जड़ का गूदा पीसकर उसमे बराबर की मात्रा में मिश्री मिला ले। इसमें 5 ग्राम चूर्ण सुबह भोजन से पहले लेने से खुनी बवासीर का प्रकोप काम हो जाता है।
प्याज को पीसकर उसमे दही मिलाकर मिश्रण रातभर रखे। उस पानी में महीन कपडा भिगोकर बवासीर की जगह पर लागने से सूजन कम खून आना बंद हो जाता है।
जामुन के पेड़ की अंदर की छालका रस २चम्मच व उतना ही छोटी मधुमक्खी का शहद मिलकर रोज एक बार सुबह पीने से खुनी बवासीर में गिरता हुआ खून जल्दी रुक जाता है।
सफ़ेद प्याज धीमी आंच पर भून ले और उसे कुचल कर गुदा बना ले। अब इसका बवासीर के मस्सों पर लेप कर दे। बवासीर के मस्सों का कष्ट जाता रहेगा और बवासीर का मरीज रहत ककि साँस ले सकता है।
डेढ़ चम्मच प्याज के रस में मिश्री घोलकर पीए। घी में भुना हुआ कुतरा प्याज खाना भी फायदेमंद हैल धीमी आंच में भुने प्याज में घी , मिश्री एयर सफ़ेद जीरा मिलकर खाने से खुनी बवासीर ठीक हो जाती है।
सफ़ेद प्याज धीमी आंच पर भून ले और उसे कुचल कर घी में भून ले, फिर इसे मिश्री व सफ़ेद टिल के साथ पीसकर पाउडर बन ले। इसकी 15-20 ग्राम के मात्रा लेने से मरीज को बवासीर राहत का अहसास होगा।
खुनी, वादी बवासीर की एक ही दवा- बबूल का गोँद, गेरू और कहरवा समई 10-10 ग्राम लेकर कूट पीसकर सूती कपडे से छान करके रखे। मात्रा- 1 ग्राम तक, गाय के तक्र के अनुपात से सुबह शाम दोनों समय करना चाहिए। 3-4 सप्ताह सेवन करने से सभी प्रकार के बवासीर जड़ से खत्म हो जाते है। यह दवा खूनी और बादी बवासीर दोनों के लिए एक अचूक दवा है।
बवासीर में परहेज :-
पपीता, चीकू, अमरुद, संतरा आदि खाना बवासीर में फायदेमंद रहता है।
तक्र, बकरी का दूध, गाय काघी, गेंहू, जिमीकन्द, बैगन, मूली, बथुआ, पलक, चौलाई, नीम, गो मूत्र आदि खाना में लेना चाहिए।
बवासीर रोगी को अधिक मिर्च मसाला, मिथ्याहार, मांसाहार आदि से बचना बहुत जरुरी है। बवासीर रोगी को मक्खन मलाई, दूध आदि चीज़ो की अधिकता से सेवन करना चाहिए।
गरिष्ठ खाना, पकवान, मिठाईतथ अचानक से घूमने जाने से बचना चाहिए। बवासीर दुष्कर बीमारी होते हुए भी असाध्य नहीं है, इसलिए रोगी को धैर्य और सयम बनाकर बवासीर का उपचार करना चाहिए।
रोग दबजाने पर इसआयुर्वेदिक दवा कासेवन अधकतर ६महीने के अंतरपर एक-एकसप्ताह पर करतेरहना चाहिए। इससे बवासीर जड़ से खत्म हो जाता है। साथमें मक्खन, मलसी, दूध, मिश्री, आदितथ सदा खानादिया जाना चाहिए।
बवासीर के लक्षण -
बवासीर के रोग को तो हम सभी जानते है यह रोग भी कम दुखदायी नहीं है। इसके मुख्य दो प्रकार माने जाते है -
1) बादी बवासीर 2) खुनी बवासीर
बादी बवासीर को रोगी जैसे-तैसे सामान्य रूप में स्वीकार कर भी लेता है, लेकिन खुनी बवासीर बहुत ज्यादा कष्टकारी होती है। खुनी बवासीर का दर्द असहनीय होता है इसमें ज्यादा पीड़ा होती है ।
बवासीर के घरेलु व देशी उपचार :-
करेले के रस में मिश्री मिलाकर पीने से बवासीर ठीक हो जाता है।
जले हुए गेंहू 6 ग्राम पीसकर 20 ग्राम मक्खन के साथ सेवन करे।
एक चम्मच अरण्ड का तेल दूध में मिलाकर रात को सोने से पहले ले।
कड़वी तोरई की जड़ का बवासीर मस्सों पर लेप करने ठीक हो जाते है।
जिमीकन्द को भूनकर दही के साथ सेवन करे बवासीर ठीक हो जायेगा।
मूली का रस लगभग ५० ग्राम रोज सेवन करने से बवासीर ठीक हो जाता है।
नीम के बीजों का तेल मस्सों पर लागने से बवासीर जड़ से ख़त्म हो जाता है।
बेल का मुरब्बा या कच्चे बेल का फल भूनकर खाने से बवासीर खत्म हो जाता है।
दोपहर के भोजन के घण्टे के बाद ५०० ग्राम पपीते का सेवन करे.बवासीर ठीक हो जाता है।
कनेर, आक औरसहजन के पत्तेपीसकर बवासीर के मस्से पर लेप करने से ठीक हो जाते है।
काले तिल 2 ग्राम लेकर मिश्री के साथ सुबह के समय सेवन करे बवासीर ठीक हो जाता है।
नीम के पत्तियों को कूट पीसकर बवासीर वाली जगह पे लागने से बवासीर ठीक हो जाता है।
नीम, कनेर के पत्तो को बारीक पीसकर मस्सों पर लेप करे बवासीर के मस्से ठीक हो जाएंगे।
दही के साथ प्याज की चटनी रोज सेवन करने से दो सप्ताह में बवासीर लाभ होता नजर आएगा।
नीम तथा कनेर के पत्तो पीसकर उसका लेप बवासीर के मस्सों पर करने से बवासीर ठीक हो जाता है।
लाल चन्दन, चिरायता, साथ, धमासा बराबर मात्रा में लेकर क्वाथ बनाकर लेने से बवासीर ठीक हो जाता है।
थूहर का दूध और हल्दी का चूर्ण मिलाकर मस्सों पर ज़रा-सा लगा देना चाहिए. बवासीर के मस्से सुख जाएंगे।
शहद और गाय का घी बराबर मात्रा मिलकर बवासीर के मस्सों पर लागने से 2-3 सप्ताह में मस्से सुख जाएंगे।
नीम की 8-9 कोपले, आधा चम्मच पीसी हुई काली मिर्च का 10 गरम शहद के साथ पीने से बवासीर ठीक हो जाता है।
सफ़ेद मूली को काटकर, नमक लगाकर रात को ओस में रख ले। सुबह उठकर खाली पेट वह मूली खाये तो आराम मिलता है।
खुनी-बवासीर में बबूल के बाँदा को काली मिर्च के साथपीसकर पीए। 4-5 खुराक में खून निकलना बंद हो जायेगा। खुनी बवासीर ठीक हो जाएगी।
दोपहर के खाने के बाद एक गिलास छाछ में एक छोटा चम्मच अजवाइन चूर्ण, हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर रोज पीने से बवासीर ठीक हो जाती है।
बेल की जड़ का गूदा पीसकर उसमे बराबर की मात्रा में मिश्री मिला ले। इसमें 5 ग्राम चूर्ण सुबह भोजन से पहले लेने से खुनी बवासीर का प्रकोप काम हो जाता है।
प्याज को पीसकर उसमे दही मिलाकर मिश्रण रातभर रखे। उस पानी में महीन कपडा भिगोकर बवासीर की जगह पर लागने से सूजन कम खून आना बंद हो जाता है।
जामुन के पेड़ की अंदर की छालका रस २चम्मच व उतना ही छोटी मधुमक्खी का शहद मिलकर रोज एक बार सुबह पीने से खुनी बवासीर में गिरता हुआ खून जल्दी रुक जाता है।
सफ़ेद प्याज धीमी आंच पर भून ले और उसे कुचल कर गुदा बना ले। अब इसका बवासीर के मस्सों पर लेप कर दे। बवासीर के मस्सों का कष्ट जाता रहेगा और बवासीर का मरीज रहत ककि साँस ले सकता है।
डेढ़ चम्मच प्याज के रस में मिश्री घोलकर पीए। घी में भुना हुआ कुतरा प्याज खाना भी फायदेमंद हैल धीमी आंच में भुने प्याज में घी , मिश्री एयर सफ़ेद जीरा मिलकर खाने से खुनी बवासीर ठीक हो जाती है।
सफ़ेद प्याज धीमी आंच पर भून ले और उसे कुचल कर घी में भून ले, फिर इसे मिश्री व सफ़ेद टिल के साथ पीसकर पाउडर बन ले। इसकी 15-20 ग्राम के मात्रा लेने से मरीज को बवासीर राहत का अहसास होगा।
खुनी, वादी बवासीर की एक ही दवा- बबूल का गोँद, गेरू और कहरवा समई 10-10 ग्राम लेकर कूट पीसकर सूती कपडे से छान करके रखे। मात्रा- 1 ग्राम तक, गाय के तक्र के अनुपात से सुबह शाम दोनों समय करना चाहिए। 3-4 सप्ताह सेवन करने से सभी प्रकार के बवासीर जड़ से खत्म हो जाते है। यह दवा खूनी और बादी बवासीर दोनों के लिए एक अचूक दवा है।
बवासीर में परहेज :-
पपीता, चीकू, अमरुद, संतरा आदि खाना बवासीर में फायदेमंद रहता है।
तक्र, बकरी का दूध, गाय काघी, गेंहू, जिमीकन्द, बैगन, मूली, बथुआ, पलक, चौलाई, नीम, गो मूत्र आदि खाना में लेना चाहिए।
बवासीर रोगी को अधिक मिर्च मसाला, मिथ्याहार, मांसाहार आदि से बचना बहुत जरुरी है। बवासीर रोगी को मक्खन मलाई, दूध आदि चीज़ो की अधिकता से सेवन करना चाहिए।
गरिष्ठ खाना, पकवान, मिठाईतथ अचानक से घूमने जाने से बचना चाहिए। बवासीर दुष्कर बीमारी होते हुए भी असाध्य नहीं है, इसलिए रोगी को धैर्य और सयम बनाकर बवासीर का उपचार करना चाहिए।
रोग दबजाने पर इसआयुर्वेदिक दवा कासेवन अधकतर ६महीने के अंतरपर एक-एकसप्ताह पर करतेरहना चाहिए। इससे बवासीर जड़ से खत्म हो जाता है। साथमें मक्खन, मलसी, दूध, मिश्री, आदितथ सदा खानादिया जाना चाहिए।
