शर्म नीं आई / sharm ni Aayi........
फत्तू अपणी घरआली धापा ती ल्याण खातर सुसराड चल्या गया।
जद वो धापा ती लेके अपणी सुसराड तै चाल्लण लग्या तो उसकी सासु नैं वापसी म्ह उस ताई दस रपिये दे दिए।
घरां आयां पाच्छे फत्तू धापा गेल झगड़ा करन लाग्या अर कई देर तेन झगड़ता रह्या।
आखिर में धापा तंग होकै फत्तू ती पुच्छण लाग्यी, 'जी थाम मेरै गेल क्यान्तें झगड़ण लाग रह्ये सो?'
फत्तू छोह मैं आगे बोल्या, "तेरी मां मैं शर्म कोणी आयी। "
धापा ने पुच्छ्या, ""किस बात की शर्म?"
फत्तू बोल्या, "मैं थाहरे घरां केले तो सो रापियाँ के लेके गया पर तेरी मां ने वापसी म्ह मेरे ताई दस रपिये दे दिए। "
धापा तपाक ती बोल्यी, "जी मन्ने न्यूं बताओ अक थाह्म ओड़े मन्ने लेण गए थे अक केले बेच्चण गए थे |"
जद वो धापा ती लेके अपणी सुसराड तै चाल्लण लग्या तो उसकी सासु नैं वापसी म्ह उस ताई दस रपिये दे दिए।
घरां आयां पाच्छे फत्तू धापा गेल झगड़ा करन लाग्या अर कई देर तेन झगड़ता रह्या।
आखिर में धापा तंग होकै फत्तू ती पुच्छण लाग्यी, 'जी थाम मेरै गेल क्यान्तें झगड़ण लाग रह्ये सो?'
फत्तू छोह मैं आगे बोल्या, "तेरी मां मैं शर्म कोणी आयी। "
धापा ने पुच्छ्या, ""किस बात की शर्म?"
फत्तू बोल्या, "मैं थाहरे घरां केले तो सो रापियाँ के लेके गया पर तेरी मां ने वापसी म्ह मेरे ताई दस रपिये दे दिए। "
धापा तपाक ती बोल्यी, "जी मन्ने न्यूं बताओ अक थाह्म ओड़े मन्ने लेण गए थे अक केले बेच्चण गए थे |"