घणीए रात होग्यी / Ganiye Raat Hogi Saaa
एक बार फत्तू आपणे छोरे की सुसराड चल्या गया।
रात नैं जद वो रोटी खा कै बैठक म्ह जाण लग्या तो उसकी समधण नैं कोई बात छेड़ दी।
फत्तू बात करदा करदा किवांडा धोरै सांकल पकडके खड्या होग्या।
जद उननैं बात करद्या नैं कई बार हो गी तो धापा ने सोच्या अक इब तो समधी जमां थक लिया होगा।
या बात सोच के धापा अपणे समधी ती बोल्यी, 'समधीजी, जाओ सो ज्यायो।
इब तो घणीए रात होग्यी।'
फत्तू धापा ती बोल्या, 'समधण, मैं तेरी बतला खातर कोणी खड्या।
मेरी तो सांकल में आंगली फँस रह्यी सै। '
रात नैं जद वो रोटी खा कै बैठक म्ह जाण लग्या तो उसकी समधण नैं कोई बात छेड़ दी।
फत्तू बात करदा करदा किवांडा धोरै सांकल पकडके खड्या होग्या।
जद उननैं बात करद्या नैं कई बार हो गी तो धापा ने सोच्या अक इब तो समधी जमां थक लिया होगा।
या बात सोच के धापा अपणे समधी ती बोल्यी, 'समधीजी, जाओ सो ज्यायो।
इब तो घणीए रात होग्यी।'
फत्तू धापा ती बोल्या, 'समधण, मैं तेरी बतला खातर कोणी खड्या।
मेरी तो सांकल में आंगली फँस रह्यी सै। '