घरआली का गुलाम ही हो सकै सै / Garwali Ka Gulam Hi Ho Sake sa
एक दिन रलदु आपणें यार फत्तू ती पुच्छण लग्या, "फत्तू जो आदमी गलती करके
अपणी गलती की माफी मांग ले उसती के कहणा चाहिए ? "
फत्तू बोल्या भाई, "उस आदमी ती तो समझदार कहणा चाहिए "
रलदू ने फत्तू पै दुबारा पुच्छया, "यार फत्तू न्यू बता जिस आदमी नैं कोई गलती भी नीं करी हो पर वो फेर भी माफी मांगता फिरदा हो उस आदमी ती के कह्वागें ?"
फत्तू बोल्या, "भाई इस्या आदमी तो घरआली का गुलाम ही हो सकै सै।
फत्तू बोल्या भाई, "उस आदमी ती तो समझदार कहणा चाहिए "
रलदू ने फत्तू पै दुबारा पुच्छया, "यार फत्तू न्यू बता जिस आदमी नैं कोई गलती भी नीं करी हो पर वो फेर भी माफी मांगता फिरदा हो उस आदमी ती के कह्वागें ?"
फत्तू बोल्या, "भाई इस्या आदमी तो घरआली का गुलाम ही हो सकै सै।