Raat ki gehrai
रात की गहराई आँखों में उतर आई,कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई,
ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के,
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई|
इंसानों के कंधे पर इंसान जा रहे हैं,कफ़न में लिपट कर कुछ अरमान जा रहे हैं,
जिन्हें मिली मोहब्बत में बेवफ़ाई,
वफ़ा की तलाश में वो कब्रिस्तान जा रहे हैं।