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डर के मारे आगी होंगी / Dar Ke Mare Aagi Hongi.........



"डर के मारे आगी होंगी"
एक गाम के आदमी जंगल मै कै जाण लाग रहे थे!

आग्गे तै डाक्कू आगे! सारे आदमी ओरे धोरे भाज लिए!  
एक बुड्ढे पै भाज्या कोन्या गया! वो चाद्दर ओढ़ कै सोग्या!  
डाकुआँ नै देख्या तो वे उस्तै बोल्ले "कोण सै रै?"  
बुड्ढा बोल्या "जी लुगाई सूँ"!  
डाकुआँ नै उसकी चाद्दर उघाड़ कै देखी और बोल्ले "तेरे तो मूंछ आरी सै"!  
बुड्ढा डरता डरता बोल्या "जी, डर के मारे आगी होंगी"!