हरयाणवी चुटकुले गणे सारे/ haryanvi chutakle gane sare
एक शहर का छौरा गाम की छौरी तै।छौरा - आई लव यू।
छौरी - यो के हौवै सै।छौरा - मैं तेरे तै प्यार करू सूं।छौरी
- क्यूं मैं के तेरी माँ सूं।छौरा - ना पागल मेरा दिल तेरे...............
छौरी - यो के हौवै सै।छौरा - मैं तेरे तै प्यार करू सूं।छौरी
- क्यूं मैं के तेरी माँ सूं।छौरा - ना पागल मेरा दिल तेरे...............
पै आग्या।छौरी - दिल है के बुग्गी का टैर जो मैर पै
आग्या।छौरा - नहीं मैं न्यू कहूँ सूं के मै तेरे दिल मैं
रहणा चाहू सूं।छौरी - क्यूं मेरा दिल के चुपाड सै जो
इसमै रवैगा।छौरा - रै कमीणी मैं तेरे तै ब्याह करणा
चाहू सूं।छौरी - डेढ़ के बीज नै चूल्हे में दे दूँगी। ब्याह
करणा चाहू सू! ब्याह तै मैं अपणे बटेऊ गेल्या करूंगी
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टीचर: संता बताओ टेन्स कितनी तरह के होते हैं?
संता: तीन।
टीचर: तीनों का एक-एक उदाहरण बताओ।
संता: मैंने कल आपकी बेटी को देखा था।
संता: मैंने कल आपकी बेटी को देखा था।
आज मैं उससे प्यार करता हूं और
कल मैं उसको भगा कर ले जाऊंगा।
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नासा ने संता को चांद पर भेजने का फैसला किया।
मगर संता आधे रास्ते से ही वापस आ गया।
संता ने कहा आज तो अमावस है ना, चांद तो होगा ही नहीं।
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हरयाणवी कंडक्टर: ओ ताऊ, बीड़ी बुझा ले।
ताऊ बोला: क्यों?
हरयाणवी कंडक्टर: ऊपर देख, लिखा से 'धुम्रपान' मना है।
ताऊ: तेरे ऊपर भी बोर्ड पे लिखा से, 'कॉपर टी' लगवाओ, तंने लगवा ली के?
ताऊ बोला: क्यों?
हरयाणवी कंडक्टर: ऊपर देख, लिखा से 'धुम्रपान' मना है।
ताऊ: तेरे ऊपर भी बोर्ड पे लिखा से, 'कॉपर टी' लगवाओ, तंने लगवा ली के?
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ये सुनकर उसके पास सो रहा उसका घरवाला फटाक से उठा और खिड़की से कूदकर बाहर भाग
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एक जाट कै बाळक ना होवैं थे । एक दिन एक Bahman आ-ग्या अर जाटणी नै आपणा रोणा रो दिया । बाहमण बोल्या - बेटी, रोवै मतना, मैं परसों बद्रीनाथ जाऊँ सूँ, ऊड़ै तेरे नाम का दीवा जळा दूंगा - अर भगवान सब भली करैंगे, चिन्ता ना करियो ।
वो बाहमण दस साल पाच्छै उस जाट कै घरां आया, तै देख्या अक ऊड़ै आठ-नौ बाळक हांडैं थे । उसनै पड़ौसी तैं बूझी अक ये बाळक किसके सैं ? पड़ौसी बोल्या अक महाराज ये उस्सै के सैं जिसका तू दस साल पहल्यां बद्रीनाथ में दीवा बाळ-कै आया था ।
बाहमण बोल्या - रै, यो जाट कित सै ?
पड़ौसी बोल्या - महाराज, वो तै कल बद्रीनाथ चल्या गया - तेरे दीवे नै बुझावण !!!
वो बाहमण दस साल पाच्छै उस जाट कै घरां आया, तै देख्या अक ऊड़ै आठ-नौ बाळक हांडैं थे । उसनै पड़ौसी तैं बूझी अक ये बाळक किसके सैं ? पड़ौसी बोल्या अक महाराज ये उस्सै के सैं जिसका तू दस साल पहल्यां बद्रीनाथ में दीवा बाळ-कै आया था ।
बाहमण बोल्या - रै, यो जाट कित सै ?
पड़ौसी बोल्या - महाराज, वो तै कल बद्रीनाथ चल्या गया - तेरे दीवे नै बुझावण !!!