नवरात्र का नौवां दिन यानि माँ भगवती के देवी सिद्धिदात्री की पूजा
पंडित रामप्रसाद के अनुसार :- मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। वे सिद्धिदात्री, सिंह वाहिनी, चतुर्भुजा तथा प्रसन्नवदना हैं। मार्कंडेय पुराण में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वशित्व- ये आठ सिद्धियां बतलाई गई हैं। इन सभी सिद्धियों को देने वाली सिद्धिदात्री मां हैं।
मां के दिव्य स्वरूप का ध्यान हमें अज्ञान, तमस, असंतोष आदि से निकालकर स्वाध्याय, उद्यम, उत्साह, कर्त्तव्यनिष्ठा की ओर ले जाता है और नैतिक व चारित्रिक रूप से सबल बनाता है। हमारी तृष्णाओं व वासनाओं को नियंत्रित करके हमारी अंतरात्मा को दिव्य पवित्रता से परिपूर्ण करते हुए हमें स्वयं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति देता है। देवी पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने इन्हीं शक्तिस्वरूपा देवी जी की उपासना करके सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं, जिसके प्रभाव से शिव जी का स्वरूप अर्द्धतनारीश्वर का हो गया था।
माँ का भोग:-
भोग 1: माता की पूजा आराधना करने के बाद माता को तिल का भोग लगाना इस दिन कल्याणकारी रहता है. भोग लगाने के बाद दान करें. यह उपवास व्यक्ति को मृ्त्यु के भय से राह्त देता है. और अनहोनी घटनाओं से बचाता है.
भोग 2: सुबह 9:00 से पहले 9 संतरा या पहले दिन अर्पित किये गए फलों से १ प्रत्येक (8) तथा १ संतरा माँ को अर्पित करके शाम को प्रसाद के रूप मैं ग्रहण करो व बाटों
उपासना मंत्र :-
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैररमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
माता को प्रिय पुष्प:-
रात की रानी (Nightqueen)
आज के दिन छोटी कन्याओं को दिये जाने वाला उपहार:-
लाल दुपट्टा, Small book of Durga Chalisa
नौवें दिन खीर, दूध में गूंथी पूरियां कन्या को खिलानी चाहिए। उसके पैरों में महावर और हाथों में मेहंदी लगाने से देवी पूजा संपूर्ण होती है। अगर आपने घर पर हवन का अयोजन किया है तो उसके नन्हे हाथों से उसमें समिधा अवश्य डलवाएं। उसे इलायची और पान का सेवन कराएं।
इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि देवी जब अपने लोक जाती है तो उसे घर की कन्या की तरह ही बिदा किया जाना चाहिए। अगर सामर्थ्य हो तो नौवें दिन लाल चुनर कन्याओं को भेंट में दें। उन्हें दुर्गा चालीसा की छोटी पुस्तकंग भेंट करें। गरबा के डाँडिए और चणिया-चोली दिए जा सकते हैं।
आज के दिन किस रंग का वस्त्र धारण करें:-
लाल, सफेद
उपवास/व्रत में आज क्या जरूर खाएं:-
Amla (आंवला)
मां के दिव्य स्वरूप का ध्यान हमें अज्ञान, तमस, असंतोष आदि से निकालकर स्वाध्याय, उद्यम, उत्साह, कर्त्तव्यनिष्ठा की ओर ले जाता है और नैतिक व चारित्रिक रूप से सबल बनाता है। हमारी तृष्णाओं व वासनाओं को नियंत्रित करके हमारी अंतरात्मा को दिव्य पवित्रता से परिपूर्ण करते हुए हमें स्वयं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति देता है। देवी पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने इन्हीं शक्तिस्वरूपा देवी जी की उपासना करके सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं, जिसके प्रभाव से शिव जी का स्वरूप अर्द्धतनारीश्वर का हो गया था।
माँ का भोग:-
भोग 1: माता की पूजा आराधना करने के बाद माता को तिल का भोग लगाना इस दिन कल्याणकारी रहता है. भोग लगाने के बाद दान करें. यह उपवास व्यक्ति को मृ्त्यु के भय से राह्त देता है. और अनहोनी घटनाओं से बचाता है.
भोग 2: सुबह 9:00 से पहले 9 संतरा या पहले दिन अर्पित किये गए फलों से १ प्रत्येक (8) तथा १ संतरा माँ को अर्पित करके शाम को प्रसाद के रूप मैं ग्रहण करो व बाटों
उपासना मंत्र :-
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैररमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
माता को प्रिय पुष्प:-
रात की रानी (Nightqueen)
आज के दिन छोटी कन्याओं को दिये जाने वाला उपहार:-
लाल दुपट्टा, Small book of Durga Chalisa
नौवें दिन खीर, दूध में गूंथी पूरियां कन्या को खिलानी चाहिए। उसके पैरों में महावर और हाथों में मेहंदी लगाने से देवी पूजा संपूर्ण होती है। अगर आपने घर पर हवन का अयोजन किया है तो उसके नन्हे हाथों से उसमें समिधा अवश्य डलवाएं। उसे इलायची और पान का सेवन कराएं।
इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि देवी जब अपने लोक जाती है तो उसे घर की कन्या की तरह ही बिदा किया जाना चाहिए। अगर सामर्थ्य हो तो नौवें दिन लाल चुनर कन्याओं को भेंट में दें। उन्हें दुर्गा चालीसा की छोटी पुस्तकंग भेंट करें। गरबा के डाँडिए और चणिया-चोली दिए जा सकते हैं।
आज के दिन किस रंग का वस्त्र धारण करें:-
लाल, सफेद
उपवास/व्रत में आज क्या जरूर खाएं:-
Amla (आंवला)
