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नवरात्र के पांचवे दिन यानि स्कंदमाता की पूजा की जायेगी।

 पंडित रामप्रसाद के अनुसार :- नवरात्र पर पांचवे दिन माँ के स्कंदमाता के रूप की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माँ है। नौ ग्रहों की शांति के लिए स्कंदमाता की खास पूजा अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता को खुश करने से बुरी ताकतों का नाश होता है और बुरी नज़र से मुक्ति मिलती है।




देवी के इस रूप कि पूजा से असंभव काम भी संभव हो जाते हैं। स्कंदमाता को ही पार्वती ,महेश्वरी और गौरी कहा जाता है। स्कंद्कुमार कि माता होने के कारण ही देवी का नाम स्कंदमाता पड़ा। देवी का स्कंदमाता रूप राक्षसों का नाश करने वाली हैं। कहा जाता है कि एक बार ताडकासुर नाम के भयानक राक्षस ने तपस्या करके भगवान ब्रह्मा से अजेय जीवन का वचन ले लिया जिससे उसकी कभी मृत्यु ना हो। लेकिन जब ब्रह्मा ने कहा की इस संसार में जो आया है उसे एक ना एक दिन जाना पड़ता है।  तो ताडकासुर ने कहा की यदि उसकी मृत्यु हो तो शिव के पुत्र के हाथो हो ब्रह्मा बोले ऐसा ही होगा। ताडकासुर ने सोचा ना कभी शंकर जी विवाह करेंगे ना कभी उनका पुत्र होगा और ना कभी उसकी मृत्यु होगी लेकिन होनी को कौन टाल सकता है। ताडकासुर ने खुद को अजेय मानकर संसार में हाहाकार मचाना शुरू कर दिया। तब सभी देवता भागे भागे शंकर जी के पास गये और बोले प्रभु ! ताडकासुर ने पूरी सृष्टि में उत्पात मचा रखा है। आप विवाह नहीं करेगे तो ताडकासुर का अंत नहीं हो सकता। देवताओं के आग्रह पर शंकर जी ने साकार रूप धारण कर के पार्वती से विवाह रचाया। शिव और पार्वती के पुत्र का जन्म हुआ जिनका नाम पड़ा कार्तिकेय। कार्तिकेय का ही नाम स्कंद्कुमार भी है स्कंद्कुमार ने ताडकासुर का वध करके संसार को अत्याचार से बचाया स्कंद्कुमार की माता होने के कारण ही माँ पार्वती का नाम स्कंदमाता भी पड़ा। माना जाता है कि देवी स्कंदमाता के कारण ही माँ -बेटे के संबंधो की शुरुआत हुई। देवी स्कंदमाता की पूजा का विशेष महत्व है। स्कंदमाता अगर प्रसन्न हो जाये तो बुरी शक्तियाँ भक्तो का कुछ नहीं बिगाड़ सकती हैं। देवी की इस पूजा से असंभव काम भी संभव हो जाता है।

माँ का भोग :-
भोग 1: इस दिन पूरे दिन उपवास करने के बाद माता को केले का भोग लगाया जाता है। भोग लगाने के बाद दान करें। इस दिन माता को केले का भोग लगाने से शरीर स्वस्थ रहता है।


भोग 2: सुबह  9:00 से पहले पांच अंगूर के गुच्छे माँ को अर्पित करके शाम को प्रसाद के रूप मैं ग्रहण करो व बाटों ।



भोग 3: सौभाग्य योग होने के कारण आज माता को दूध का भोग लगाएं।

वात, पित्त, कफ जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए और माता को अलसी चढ़ाकर प्रसाद में रूप में ग्रहण करना चाहिए ।


उपासना मंत्र :-

सिंहासानगता नितयं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

माता को प्रिय पुष्प :-

लाल रंग के पुष्प

कमल फूल माता को सबसे अधिक प्रिय है



आज छोटी कन्याओं को दिये जाने वाला उपहार :-

पांचवे दिन देवी से सौभाग्य और संतान प्राप्ति की मनोकामना की जाती है। अत: कन्याओं को पांच प्रकार की श्रृंगार सामग्री देना अत्यंत शुभ होता है। इनमें बिंदिया, चूड़ी, मेहंदी, बालों के लिए क्लिप्स, सुगंधित साबुन, काजल, नेलपॉलिश, टैल्कम पावडर इत्यादि हो सकते हैं।

आज के दिन किस रंग के वस्त्र धारण करें :-

हरा, लाल, सफेद

उपवास/व्रत में आज क्या जरूर खाएं:-
Shyamak Chawal (श्यामक चावल)

आज किये जाने वाले विशेष उपाय:-
अगर आपको संतान प्राप्ति नहीं हो रही है तो आप लौंगऔर कपूर में अनार के दाने मिला कर माँ दुर्गा को आहुति दे जरुर लाभहोगा। संतान प्राप्ति का सुख मिलेगा। 1 पान का पत्ता माँ भगवती को जरूर अर्पित करें। वात, पित्त, कफ जैसी बीमारियों से पीडि़त व्यक्ति को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए और माता को अलसी चढ़ाकर प्रसाद में रूप में ग्रहण करना चाहिए।
जिन  लोगों की विदेश यात्रा में कठिनाई या बाधा आ रही  है। वो मूली के टुकड़ों को हवन  सामग्री में मिला लें और हवन करें। विदेश यात्रा का योग बनेगा।
कहते हैं कि गला एवं वाणी क्षेत्र पर स्कंदमाता का प्रभाव होता है। इसलिए जिन्हें गले में किसी प्रकार की तकलीफ अथवा वाणी दोष हैं उन्हें गंगाजल में पांच लवंग मिलाकर स्कंदमाता का आचमन कराना चाहिए और इसे प्रसाद स्वरूप पीना चाहिए। यह उपाय उनके लिए भी लाभकारी है जो गायकी, एंकरिंग अथवा अन्य वाणी से सम्बन्धित पेशे से जुड़े हुए हैं।