नवरात्र का चौथ दिन यानि मां कूष्माण्डा की पूजा
पंडित रामप्रसाद के अनुसार :-वैसे तो मां दुर्गा का हर रूप बहुत सरस होता है। लेकिन माना जाता है कि मां का कूष्माण्डा रूप बहुत मोहक और मधुर है। नवरात्र के चौथे दिन मां के इस रूप की पूजा होती है। मां के इस रूप के बारे में पुराणों में जिक्र है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी।
अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल की वृद्धि होती है। माँ कूष्माण्डा अल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है। इस दिन मां का नाम लेकर ध्यान करना चाहिए। मां के इस रूप से पूजने वाले व्यक्ति के पौरूष में कभी कमी नहीं होती है, वो दिन-दूनी रात चौगुनी तरक्की करता है। वो जब तक धरती पर रहेगें, तब तक उसका कुल आबाद रहता है। मां कूष्माण्डा देवी का आशीर्वाद पाना है तो आपको यूपी के बागपत शहर जाना पड़ेगा जहां मां कुष्माण्डा का बहुत ही पौराणिक एंव लोकप्रिय मंदिर है। यहां को लोग मां के अष्टसिद्दि रूप को पूजते हैं। कहते है कि मां मन की चंचलता को शांत करती है। और व्यक्ति को गति प्रदान करती है।
पूजा की शुरूआत इस श्लोक से करनी चाहिए
“ देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।“
अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा करनी चाहिए।
माँ का भोग:-
भोग 1: माता कूष्माण्डा की पूजा करने के बाद माता को इस दिन मालपुओं का भोग लगाया जाता है. भोग लगाने के बाद दान करें. यह प्रसाद मंदिरों में बांटना भी इस दिन शुभ रहता है. इस दिन माता को मालपुए का भोग लगाने से माता प्रसन्न होकर उपवासक की बुद्धि का विकास करती है, और साथ -साथ निर्णय करने की शक्ति भी बढाती है.
भोग 2: सुबह 9:00 से पहले चार नाशपाती माँ को अर्पित करके शाम को प्रसाद के रूप मैं ग्रहण करो व बाटों
भोग 3: प्रीति योग होने के कारण आज माता को शहद का भोग लगाएं।
उपासना मंत्र :-
सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तुमे।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
माता को प्रिय पुष्प:-
लाल रंग के पुष्प
आज के दिन छोटी कन्याओं को दिये जाने वाला उपहार:-
चौथे दिन इन्हें वस्त्र देने का महत्व है लेकिन सामर्थ्य अनुसार रूमाल या रंगबिरंगे रीबन दिए जा सकते हैं।
आज के दिन किस रंग का वस्त्र धारण करें:-
नीला-सफेद व केशरिया रंग।
उपवास/व्रत में आज क्या जरूर खाएं:-
Petha (पेठा)।
आज किये जाने वाले विशेष उपाय:-
पान में गुलाब की सात पंखुड़ियां रखें और पान को देवी जी को चढ़ा दें। आप को धन की प्राप्ति होगी।
चतुर्थी, पंचमी तथा षष्ठी को महालक्ष्मी की विशेष आराधना की जाती है।
108 कमलगटटे के बीज लेकर घी के साथ एक-एक करके अग्नि में 108 आहुति दें। ऐसा कम से कम एक साल प्रत्येक बुधवार करें। दरिद्रता का नाश होगा।
अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल की वृद्धि होती है। माँ कूष्माण्डा अल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है। इस दिन मां का नाम लेकर ध्यान करना चाहिए। मां के इस रूप से पूजने वाले व्यक्ति के पौरूष में कभी कमी नहीं होती है, वो दिन-दूनी रात चौगुनी तरक्की करता है। वो जब तक धरती पर रहेगें, तब तक उसका कुल आबाद रहता है। मां कूष्माण्डा देवी का आशीर्वाद पाना है तो आपको यूपी के बागपत शहर जाना पड़ेगा जहां मां कुष्माण्डा का बहुत ही पौराणिक एंव लोकप्रिय मंदिर है। यहां को लोग मां के अष्टसिद्दि रूप को पूजते हैं। कहते है कि मां मन की चंचलता को शांत करती है। और व्यक्ति को गति प्रदान करती है।
पूजा की शुरूआत इस श्लोक से करनी चाहिए
“ देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।“
अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा करनी चाहिए।
माँ का भोग:-
भोग 1: माता कूष्माण्डा की पूजा करने के बाद माता को इस दिन मालपुओं का भोग लगाया जाता है. भोग लगाने के बाद दान करें. यह प्रसाद मंदिरों में बांटना भी इस दिन शुभ रहता है. इस दिन माता को मालपुए का भोग लगाने से माता प्रसन्न होकर उपवासक की बुद्धि का विकास करती है, और साथ -साथ निर्णय करने की शक्ति भी बढाती है.
भोग 2: सुबह 9:00 से पहले चार नाशपाती माँ को अर्पित करके शाम को प्रसाद के रूप मैं ग्रहण करो व बाटों
भोग 3: प्रीति योग होने के कारण आज माता को शहद का भोग लगाएं।
उपासना मंत्र :-
सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तुमे।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
माता को प्रिय पुष्प:-
लाल रंग के पुष्प
आज के दिन छोटी कन्याओं को दिये जाने वाला उपहार:-
चौथे दिन इन्हें वस्त्र देने का महत्व है लेकिन सामर्थ्य अनुसार रूमाल या रंगबिरंगे रीबन दिए जा सकते हैं।
आज के दिन किस रंग का वस्त्र धारण करें:-
नीला-सफेद व केशरिया रंग।
उपवास/व्रत में आज क्या जरूर खाएं:-
Petha (पेठा)।
आज किये जाने वाले विशेष उपाय:-
पान में गुलाब की सात पंखुड़ियां रखें और पान को देवी जी को चढ़ा दें। आप को धन की प्राप्ति होगी।
चतुर्थी, पंचमी तथा षष्ठी को महालक्ष्मी की विशेष आराधना की जाती है।
108 कमलगटटे के बीज लेकर घी के साथ एक-एक करके अग्नि में 108 आहुति दें। ऐसा कम से कम एक साल प्रत्येक बुधवार करें। दरिद्रता का नाश होगा।