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नवरात्र तीसरा दिन यानि मां चंद्रघंटा की पूजा

पंडित रामप्रसाद के अनुसार :-
नवरात्र के  तीसरे दिन भगवती मां दुर्गा की तीसरी शक्ति भगवती चन्द्र घंटा की उपासना की जाती है। मां का यह रूप पाप- ताप एवं समस्त विघ् बाधाओं से मुक्ति प्रदान करता है और परम शांति दायक एवं कल्याणकारी है। मां के मस्तक में घंटे की भांति अर्घचन्द्र सुशोभित है। इसीलिए मां को चन्द्र घंटा कहते हैं।



कंचन की तरह कांति वाली भगवती की दश विशाल भुजाएं है। दशों भुजाओं में खड्ग, वाण, तलवार, चक्र, गदा, त्रिशूल आदि अस्त्र-शस्त्र शोभायमान हैं। मां सिंह पर सवार होकर मानो युद्ध के लिए उद्यत दिखती हैं। मां की घंटे की तरह प्रचण्ड ध्वनि से असुर सदैव भयभीत रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि नवरात्र में देवी की पूजा करने से हमारी मनोकामना पूरी होती है। नौ दिन तक चलने वाले नवरात्र में हर एक दिन देवी के विशेष रूप की पूजा की जाती है। पूजा के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। पूजा अर्चना में मां चन्द्र घंटा का स्मरण करते हुए साधकजन अपना मन मणिपुर चक्र में स्थित करते हैं। उस समय मां की कृपा से साधक को आलौकिक दिव्य दर्शन एवं दृष्टि प्राप्त होती है। साधक के समस्त पाप-बंधन छूट जाते हैं। प्रेत बाधा आदि समस्याओं से भी मां साधक  की रक्षा क रती हैं। नवरात्र के हर दिन सप्तसती का पाठ करना शुभ माना गया है। जो भक्त हर दिन ये पाठ करता है वह समाज में यश कीर्ति और सम्मान को पाता है। चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना भक्तो को सभी जन्मों के कष्टों और पापों से मुक्त कर इस लोक और परलोक में कल्याण प्रदान करती है और भगवती अपने दोनों हाथो से साधकों को चिरायु, सुख सम्पदा और रोगों से मुक्त होने का वरदान देती हैं। नवरात्र में महिलाओ को घर पर बुलाकर भोजन कराकर उनका सम्मान करना चाहिए और भेंट में उन्हे कलश या घंटी उपहार में देना शुभ माना जाता है।





माँ का भोग :-

भोग 1: इस इन माता की पूजा करते समय माता को दूध या दूध से बनी मिठाई अथवा खीर का भोग माता को लगाया जाता है. भोग लगाने के बाद दूध को दान करे. भोग लगाने के लिये एक थाली ब्रह्माण के लिये भी निकाली जाती है. ब्रह्माण को भोजन के साथ साथ दक्षिणा आदि भी दान में दी जाती है. माता चन्द्र घन्टा को खीर का भोग लगाने से उपवासक को दु:खों से मुक्ति प्राप्त होती है. और उसे परम आनंद की प्राप्ति होती है.

भोग 2: सुबह  9:00 से पहले तीन केले  माँ को अर्पित करके शाम को प्रसाद के रूप मैं ग्रहण करो व बाटों

भोग 3: सुबह विष्कम्भ योग होने के कारण आज माता को गुड़ का भोग लगाएं।


उपासना मंत्र : -
    पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
    प्रसादं तनुते महयं चन्दघण्टेति विश्रुता।।

    या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।



माता को प्रिय पुष्प:-
चमेली (Jasmine)
आज माता को सिंदूर-दर्पण अर्पण करें
 

आज के दिन छोटी कन्याओं को दिये जाने वाला उपहार:-
तीसरे दिन मिठाई का महत्व होता है। इस दिन अगर हाथ की बनी खीर, हलवा बना कर खिलाए जाएं तो देवी प्रसन्न होती है।
    
 
आज के दिन किस रंग का वस्त्र धारण करें:-
    लाल

 
उपवास/व्रत में आज क्या जरूर खाएं:-
    Chaulai (चौलाई)

 
आज किये जाने वाले विशेष उपाय:-
     
ऋण मुक्ति के उपाय - कच्चे आटे की लोई में गुड भरकर पानी में बहायें।
     
ऋण मुक्ति के उपाय - कमल की पंखुड़ियों में आज के दिन माता को मक्खन मिसरी का भोग लगाकर 48 लौंग और 6 कपूर की आहुति दीजिये।
     
मिथुन लग्न के जातक आर्थिक समस्या निवारण के लिए आज से शुरू करके लगातार 12 मंगलवार लगातार श्यामक चावलों की खीर बनाकर मन्दिर में दान करें।
विशाखा नक्षत्र में वस्त्रादि के साथ अपना कुछ धन ब्राह्मण को देने से सारे कष्ट दूर होते हैं साथ ही आपके पितृगण भी प्रसन्न होते है।