नवरात्र दूसरे दिन यानि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
पंडित रामप्रसाद के अनुसार :- नवरात्र पर्व के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है। यह प्यार और वफादारी को प्रदर्शित करती हैं। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानी तप की शक्ति का प्रतीक हैं। क्योंकि ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली।
इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही, सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं। ब्रह्मचारिणी मां स्त्रियों के रूप में गुरू मानी जाती है। माँ ब्रह्मचारिणी ज्ञान का भंडार है। साधक इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं।
माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। मां दुर्गा का यह रूप अत्यंत भव्य और सुंदर है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी हमें यह संदेश देती हैं कि जीवन में बिना परिश्रम के सफलता प्राप्त करना असंभव है।
माँ का भोग:-
भोग 1: इस दिन माता ब्रह्माचारिणी को प्रसन्न करने के लिये शक्कर का भोग लगाया जाता है. इस दिन माता को शक्कर का भोग लगाने से घर के सभी सदस्यों की आयु में बढोतरी होती है. भोग लगाने के बाद शक्कर को दान करें
भोग 2: सुबह 9:00 से पहले दो सेब माँ को अर्पित करके शाम को प्रसाद के रूप मैं ग्रहण करो व बाटों तथा खीर (मखाना) माँ को अर्पित करो
उपासना मंत्र :-
दधाना कपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
माता को प्रिय पुष्प:-
माता ब्रह्माचारिणी को गुढ़ल का फूल और कमल का फूल बेहद प्रिय है. इन फूलों की माला माता को इस दिन पहनाई जाती है.
आज माता को रेशम की रेशम चोटी अर्पित भी करें।
छोटी कन्याओं को दिये जाने वाला उपहार:-
दूसरे दिन फल देकर इनका पूजन करें। यह फल भी सांसारिक कामना के लिए लाल अथवा पीला और वैराग्य की प्राप्ति के लिए केला या श्रीफल हो सकता है। याद रखें कि फल खट्टे ना हो।
किस रंग के वस्त्र धारण करें :-
केशरिया, पीच व हल्का पीला रंग
उपवास/व्रत में आज क्या जरूर खाएं:-
Milk-Curd (दूध-दही)
आज किये जाने वाले विशेष उपाय:-
मां ब्रह्माचारिणी को गुड़हल का फूल और कमल बेहद प्रिय है। पूजा में इन्ही फूलों की मां ब्रह्माचारिणी को पहनाई जाती है। मां को प्रसन्न करने के लिए शक्कर का भोग लगाया जाता है। इस दिन शक्कर का भोग लगाने से घर के सदस्यों की आयु बढ़तरी है। भोग के पश्चात शक्कर दान करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन रॉयल ब्लू शुभ रंग होता है। इसलिए इनकी पूजा रॉयल ब्लू रंग की साड़ी पहना कर की जाती है और इस दिन रॉयल ब्लू रंग का वस्त्र पहनना शुभ मानते है।
नारद पुराण के अनुसार आश्विन मास के शुक्लपक्ष में पुण्यमयी द्वितीय तिथि आती है, उसमें दिया हुआ दान अनन्त फल देने वाल कहा जाता है
“आश्विने मासि वै पुण्या द्वितीया शुक्लपक्षगा । दानं प्रदत्तमेतस्यामनंतफलमुच्यते ।।”
ब्राह्मी बूटी पर या देवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्तिथा नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: १०८ बार पढ़ें और ब्राह्मी बच्चो को खिला दें ७ दिन लगातार ऐसा करने से बालक मेधावी हो जाता है।
इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही, सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं। ब्रह्मचारिणी मां स्त्रियों के रूप में गुरू मानी जाती है। माँ ब्रह्मचारिणी ज्ञान का भंडार है। साधक इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं।
माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। मां दुर्गा का यह रूप अत्यंत भव्य और सुंदर है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी हमें यह संदेश देती हैं कि जीवन में बिना परिश्रम के सफलता प्राप्त करना असंभव है।
माँ का भोग:-
भोग 1: इस दिन माता ब्रह्माचारिणी को प्रसन्न करने के लिये शक्कर का भोग लगाया जाता है. इस दिन माता को शक्कर का भोग लगाने से घर के सभी सदस्यों की आयु में बढोतरी होती है. भोग लगाने के बाद शक्कर को दान करें
भोग 2: सुबह 9:00 से पहले दो सेब माँ को अर्पित करके शाम को प्रसाद के रूप मैं ग्रहण करो व बाटों तथा खीर (मखाना) माँ को अर्पित करो
उपासना मंत्र :-
दधाना कपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
माता को प्रिय पुष्प:-
माता ब्रह्माचारिणी को गुढ़ल का फूल और कमल का फूल बेहद प्रिय है. इन फूलों की माला माता को इस दिन पहनाई जाती है.
आज माता को रेशम की रेशम चोटी अर्पित भी करें।
छोटी कन्याओं को दिये जाने वाला उपहार:-
दूसरे दिन फल देकर इनका पूजन करें। यह फल भी सांसारिक कामना के लिए लाल अथवा पीला और वैराग्य की प्राप्ति के लिए केला या श्रीफल हो सकता है। याद रखें कि फल खट्टे ना हो।
किस रंग के वस्त्र धारण करें :-
केशरिया, पीच व हल्का पीला रंग
उपवास/व्रत में आज क्या जरूर खाएं:-
Milk-Curd (दूध-दही)
आज किये जाने वाले विशेष उपाय:-
मां ब्रह्माचारिणी को गुड़हल का फूल और कमल बेहद प्रिय है। पूजा में इन्ही फूलों की मां ब्रह्माचारिणी को पहनाई जाती है। मां को प्रसन्न करने के लिए शक्कर का भोग लगाया जाता है। इस दिन शक्कर का भोग लगाने से घर के सदस्यों की आयु बढ़तरी है। भोग के पश्चात शक्कर दान करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन रॉयल ब्लू शुभ रंग होता है। इसलिए इनकी पूजा रॉयल ब्लू रंग की साड़ी पहना कर की जाती है और इस दिन रॉयल ब्लू रंग का वस्त्र पहनना शुभ मानते है।
नारद पुराण के अनुसार आश्विन मास के शुक्लपक्ष में पुण्यमयी द्वितीय तिथि आती है, उसमें दिया हुआ दान अनन्त फल देने वाल कहा जाता है
“आश्विने मासि वै पुण्या द्वितीया शुक्लपक्षगा । दानं प्रदत्तमेतस्यामनंतफलमुच्यते ।।”
ब्राह्मी बूटी पर या देवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्तिथा नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: १०८ बार पढ़ें और ब्राह्मी बच्चो को खिला दें ७ दिन लगातार ऐसा करने से बालक मेधावी हो जाता है।