आपनी यात्रा को 'शुभयात्रा' कैसे बनायें ? Apni Yatra Ko Shubh Yatra Kaise Banayen ?
आपनी यात्रा को 'शुभयात्रा' कैसे बनायें ? Apni Yatra Ko Shubh Yatra Kaise Banayen ?
हम काफी यात्राएं करते हैं जिनमे कुछ यात्राएँ सुखद और आरामदायक होती है तो कुछ ऐसी भी यात्राएँ हो जाती है जो कठिनाई और परेशानियों की वजह से दुःखद घटना बनकर रह जाती हैं। वास्तु - शास्त्र और ज्योतिष-शास्त्र में यात्रा के संदर्भ में कुछ नियमों का वर्णन किया गया है। वास्तु - शास्त्र के अनुसार लम्बी यात्रा हो या छोटी लेकिन दिशाशूल दोष को देखकर ही यात्रा प्रारभ्म करनी चाहिए। यात्रा प्रारम्भ करने से पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि कौन सी दिशा शुभ है और कौन सी अशुभ।पंडित रामप्रसाद के अनुसार - वास्तु - शास्त्र के नियम में दिशाशूल का अर्थ है संबंधित दिशा में बाधा और कष्ट प्राप्त होना। चलिए आज हम आपको दिशाशूल वाली यात्रा, दिशाओं में यात्रा के लिए शुभ वार, और उनके उपाय की जानकरी देतें हैं:-
दिशाशूल वाली यात्रा कौन-सी है :-
पूर्व दिशा : इस दिशा में सोमवार और शनिवार को दिशाशूल दोष होता है।
पश्चिम दिशा : इस दिशा में रविवार और शुक्रवार को दिशाशूल दोष होता है। यह अशुभ होता है।
दक्षिण दिशा : इस दिशा में गुरूवार को यात्रा करना ठीक नहीं है।
उत्तर दिशा : मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा अनुकूल नहीं होती है।
दिशाओं में यात्रा के लिए शुभ वार कौन-सा है :-
सोमवार : दक्षिण की दिशा में यात्रा के लिए सोमवार को उत्तम माना जाता है।
मंगलवार : मंगलवार पूर्व व दक्षिण दोनों ही दिशाओं में यात्रा के लिए शुभ होता है।
बुधवार : बुधवार के दिन पूर्व एवं पश्चिम दिशा की यात्रा अनुकूल रहती है।
गुरूवार : गुरूवार को दक्षिण दिशा को छोड़कर अन्य सभी दिशाओं में यात्रा सुखद रहती है।
शुक्रवार : शुक्रवार के दिन शाम के समय शुरू की गयी यात्रा सुखद और शुभ फलदाय होती है।
शनिवार : शनिवार को अपने घर की यात्रा को छोड़कर अन्य किसी भी स्थान की यात्रा लाभप्रद नहीं होती है।
रविवार : रविवार के दिन पूर्व दिशा में की गयी यात्रा उत्तम रहती है।
यात्रा दोष दूर करने के उपाय कौन-कौन से है:-
कई बार न चाहते हुए भी उसी दिशा में यात्रा करनी पड़ती है जिस दिशा में दिशाशूल होता है। इस दोष को दूर करने के लिए ज्योतिषशास्त्र में सामान्य सा उपाय बताया गया है।
सोमवार : सोमवार के दिन दर्पण देखकर और दूध पीकर यात्रा करें।
मंगलवार : मंगलवार को गुड़ खाकर यात्रा करें।
बुधवार : बुधवार को धनिया या तिल खाकर यात्रा करें।
गुरूवार : गुरूवार को दही खाकर यात्रा करें।
शुक्रवार : शुक्रवार को जौ खाकर अथवा दूध पीकर सफर पर निकलें।
शनिवार : शनिवार को उड़द या अदरक खाकर जाएं।
रविवार : रविवार को घी अथवा दलिया खाकर यात्रा करनी चाहिए।
पंडित रामप्रसाद के अनुसार:- प्रतिदिन दिशाशूल का प्रभाव दिन में 12 बजे तक ही रहता है। 12 बजे के बाद दिशाशूल दोष का प्रभाव कम हो जाता है।