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भारतीय संस्कृति में चरण स्पर्श करने का सबसे बड़ा राज / Hindustan Me Pair Chhune Ka Kya Karan H ?

में चरण स्पर्श करने का सबसे बड़ा राज / Hindustan Me Pair Chhune Ka Kya Karan H ?
हमारी भारतीय संस्कृति में चरण स्पर्श यानी कि पैर छूने का रिवाज काफी पुराना है लेकिन वक्त के साथ आज यह काफी कम हो गया है। आज नई पीढी के बहुत कम बच्चे अपने से बड़ों के पैर छूते हैं। जबकि सही मायने में पैर छूने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता बल्कि् शरीर को भी लाभ मिलता है। सांइस में इसके पीछे एक बड़ा राज छुपा है। ऐसे में आइए जाने चरण स्पलर्श के पीछे की साइंस...



पैर छूने से ये फायदे होते है  :- 
हिंदू धर्म (भारतीय संस्कृति) में पैर छूने को आस्था और संस्कार की श्रेणी में गिना जाता है। यहां पर छोटे लोग अपने से उम्र में बड़े लोगों के पैर छूते हैं। इसे बड़ों का सम्मान करने की नजर से भी देखा जाता है कि पैर छूने वाले ने अपना अहम अपने से बड़े के पैरों में त्याग दिया है। चरण स्पर्श के पीछे चौकाने वाला वैज्ञानिक कारण भी है। जो इंसान के शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रक्रिया से दो अलग-अलग व्यक्तियों के हाथ और पैर आपस में स्पर्श होते हैं तो एक एक सर्किट बनता है। ऐसे में इस सर्किट के माध्यम से दोनों के शरीर में कॉस्मिक एनर्जी का आदान-प्रदान काफी तेज होता है। जिसमें पॉजिटिव और निगेटिव एनर्जी दोनों ही शामिल होते हैं।



पैर छूने का तरीका :- 
सांइस के मुताबिक बायें पैर की ओर से निगेटिव एनर्जी ओर दायें पैर की ओर से पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है। ऐसे में जरूरी है कि आज नई पीढ़ी के बच्चों  को चरण स्पदर्श करने की कला को जरूर सिखाना चाहिए। सबसे खास बात तो यह है कि पैर छूने से शारीरिक कसरत भी होती है। झुककर पैर छूने से कमर और रीढ़ को आराम मिलता है। घुटने के बल बैठकर पैर छूने से शरीर के जोड़ों पर बल पड़ता और दर्द दूर होता है। वहीं साष्टांग प्रणाम यानी कि जमीन में पूरा लेटकर पैर छूने से अहंकार तो खत्म होता ही है साथ ही आंखों को भी आराम मिलता है। इसके अलावा सिर का रक्त प्रवाह काफी अच्छे से होता है।

अतः आप सभी से निवेदन है कि हमारी अपनी भारतीय संस्कृति की परम्पराओं को जीवित रखने के लिए हमेशा सहयोग दें और अपने से छोटों को भी इसके बारे में जरुर शिक्षा दें ताकि हमारे पुराने रीति-रिवाज कायम बने रहें।     धन्यवाद !