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पत्रकार के सामने एक किसान की आप बीती कहानी / Ek Kisan Ki Aap-Biti Kahani

पत्रकार के सामने एक किसान की आप बीती कहानी / Ek Kisan Ki Aap-Biti Kahani
पत्रकार और किसान के आमने सामने के सवाल जवाब जो इस प्रकार से है जो एक आम किसान की पूरी सच्चाई को बयान करती है कि किसान किस तरह से जिन्दगी जीने पर मजबूर है
किसान की इस तरह की जिन्दगी का वर्णन निचे दिए गये प्रश्न-उत्तरों में दिया गया है :-



पत्रकार: कौन हो ?
किसान: एक आम किसान .
पत्रकार: कितनी ज़मीन है आपके पास ?
किसान: 4 एकड़
पत्रकार: कौन सी गाडी है आपके पास ?
किसान: बैलगाड़ी है !
पत्रकार: क्या चाहिए ?
किसान: किसान का अधिकार चाहिए , फसल का रेट चाहिए , बच्चो को पढ़ने के लिए समानता का अधिकार चाहिए और वो नही दे सकते तो बराबर का आरक्षण चाहिए !
पत्रकार: क्यों चाहिए ?
किसान: 6 महीनो तक 24 घंटे बिना किसी छुट्टी के खेत में काम करके फसल पैदा करता हूँ जिससे खाकर तुम इतने बड़े हुए हो, उस फसल को लागत के हिसाब से उचित दाम पर बेचने का अधिकार चाहिए ?
पत्रकार: क्यूँ ऐसा क्यों सरकारी दाम में क्यों नही ?
किसान: क्यों नही चाहिए चप्पल बनाने वाली कंपनी अपनी मर्जी से चपल का दाम लगाती है लागत के (प्रोडक्शन कॉस्ट)) के हिसाब से ! तो हम क्यों नही ?हम अनाज पैदा करते है तो देश के जवान खाकर सीमा पर पहरा देते है और देश सुरक्षित रहता है ! हम अनाज पैदा करते है तो देश के बचे खाना खाकर स्कूल जाते है और बड़े होकर आपके जैसे पत्रकार, खिलाडी या व्यापारी बनकर देश का गौरव बनते है ! हम अनाज नही देश का गौरव पैदा करते हैअनाज के हर एक दाने में हमारा खून पसीना मिला होता है लेकिन तुम AC में पैदा होने वाले हमारादर्द क्या जानोगे ! रात को जब पानी लगाने जाना पड़ता है तो एक रात में कमसे कम 50 माछर काटते है ! तुम्हे एक भी माछर काट ले तो मलेरिया हो जाता है हमारे तो खून में मलेरिया हमेशा रहता है !जब तक हम बर्दाश्त करते है तो कोई पूछने नही आता जब हम अपने अधिकारों की मांग करते हो तो हम विद्रोही कहलाते है ! और फिर राजनैतिक पार्टिया अपने अपने स्वार्थ सिद्ध करने आ जाती है! पत्रकार बेटा तुम विद्रोही कहो या गवार हम अपने दम पे जीते है और तुम्हारे जीवन के लिए अन्न पैदा करते है ! और एक बात सुन बेटा हम शोषित होते हुए भी अन्न पैदा करना नही छोड़ेंगे क्योकी हमने ऐसा किया न तो तुम्हारे बच्चो का क्या होगा, हम तो मिटटी खाकर भी गुजारा करना जानते है !

पत्रकार: सॉरी मुझे पता नही था अभी तक मै ये सोचता था अनाज पैदा करना तो बहुत आसान है ! आपको तो आरक्षण के साथ साथ हर महीना तनख्वा भी मिलनी चाहिए 24 घंटे की ड्यूटी के हिसाब से !

किसान: बेटा आरक्षण और तनखा की जरुरत भी न है अगर फसल का रेट उचित खर्च के आधार पर मिले और खाद बीज सरकार दुवारा उचित मूल्यों पर दिलवाए जाये ! फसल नष्ट होने पर किसान की उचित मदद की जाये ! अगर ये सब होता तो बेटा हमे भी कड़वा रुख अपनाने की फुर्सत कहा थी ! बेटा हम तो वो लोग है जो सुबह उठकर पहले जानवरो को खाना खिलते है उसके बाद चाय का कप पीते है !!! चल बेटा राम राम !! भगवन अगले जन्म में किसे गरीब किसान के घरमे पैदा करेगा तो अप्पे बेरा पटज्या गा जब खेत में पाट्या होया पजामा पेर के काम करना पड़ेगा !.
I Proud   kisan
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