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जीवन की कङवी सच्चाईँ

हालात ने तोड़ दिया हमें कच्चे धागे की तरह….......... 
वरना हमारे वादे भी कभी ज़ंजीर हुआ करते थे.......






स्वयं विचार कीजिये :- इतना कुछ होते हुए भी,


 मनुष्य जीवन की कङवी सच्चाईँ...


हमारा एक छोटा सा जीवन है, लगभग 80 वर्ष।
उसमें से आधा =40 वर्ष तो रात को
बीत जाता है। उसका आधा=20 वर्ष
बचपन और वर्ष बुढ़ापे मे बीत जाता है।
बचा 20 वर्ष। उसमें भी कभी योग,
कभी वियोग, कभी पढ़ाई,कभी परीक्षा,
नौकरी, व्यापार और अनेक चिन्ताएँ
व्यक्ति को घेरे रखती हैँ।अब बचा ही
कितना ? 2/3 वर्ष। उसमें भी हम
शान्ति से नहीं जी सकते ? यदि हम
थोड़ी सी सम्पत्ति के लिए झगड़ा करें,
और फिर भी सारी सम्पत्ति यहीं छोड़
जाएँ, तो इतना मूल्यवान मनुष्य जीवन
प्राप्त करने का क्या लाभ हुआ?


इसलिए सोच बदलो देश अपने आप बदल जायेगा