Breaking News

नवरात्र में माता की पूजा किस रूप में होती है

नवरात्र में त्रिदेवी की आराधना किस प्रकार की जाती है या नवरात्र में माता की पूजा किस रूप में होती है।
पंडित रामप्रसाद के अनुसार :-
हम सभी ये जानते है कि नवरात्र में 9 तिथियों को 3-3-3 तिथि में बांटा गया है। सबसे पहले प्रथम 3 तिथि में तमस को जीतने की आराधना के लिए माँ दुर्गा की पूजा की जाती है, दुर्गा माता की पूजा करके प्रथम तीन दिनों में मनुष्य अपने अंदर उपस्थित दैत्य, अपने विघ्न, रोग, पाप तथा शत्रु का नाश कर डालता है।



उसके बाद रजस को जीतने की आराधना के लिए बीच की तीन तिथि माँ लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है, इन तीन दिन में सभी भौतिकवादी,  आध्यात्मिक धन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी लक्ष्मी माता की पूजा करता है। तथा अंतिम तिथि दिन में सत्व को जीतने की आराधना के लिए माँ सरस्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है। अंत में आध्यात्मिक ज्ञान के उद्देश्य से कला तथा ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती की आराधना करता है


पंडित रामप्रसाद के अनुसार :-
 में तीनों शक्तियों की आराधना के मूल मंत्रों का वर्णन करता हूँ। नवरात्र में इनका यथासंभव जप करना चाहिए। 
1.    दुर्गा जी का उत्तमोत्तम नवाक्षर मंत्र महामंत्र है। इसको मंत्रराज कहा गया है।
नवार्ण मंत्र की साधना धन-धान्य, सुख-समृद्धि आदि सहित सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है। ************ “ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” ***********
2.    #लक्ष्मी जी का मूल मंत्र जिसके द्वारा कुबेर ने परमऐश्वर्य प्राप्त किया था                                ******************“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा” *****************
3.    सरस्वती जी का वैदिक अष्टाक्षर मूल मंत्र जिसे भगवान शिव ने कणादमुनि तथा गौतम को, श्रीनारायण ने वाल्मीकि को, ब्रह्मा जी ने भृगु को, भृगुमुनि ने शुक्राचार्य को, कश्यप ने बृहस्पति को दिया था जिसको सिद्ध करने से मनुष्य बृहस्पति के समान हो जाता है                    
*************** “श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा” *********