रत्न धारण करने के पीछे का राज क्या है ?
प्रिय दोस्तो ,
रत्न धारण करने के कुछ सिद्धांत माने जाते है, जिनका हमे ध्यान रखना बहुत आवश्यक है. जिस ग्रह से संबधित रत्न धारण किया जायेगा, वो ग्रह उस इंसान की जन्म-कुंडली में रत्न धारण द्वारा बल पाएगा, क्योकि उस ग्रह से सम्बधित जो रश्मियाँ उस रत्न में है, उनका शरीर में प्रवेश हो जायेगा. अतः जो सोने, चांदी या पंचधातु आदि की अंगूठी रत्न जुड़वाने के लिए बनवाई जाये, वो इस प्रकार की हो की उसमे लगा रत्न ऊँगली आदि की त्वचा को स्पर्श करता रहे.
अनेक विद्वान ज्योतिष के शास्त्रियों के अनुसार- जन्मकुंडली को पूरी तरह से प्रभावशाली बनाने वाले ग्रह का रत्न धारण या पहनना चाहिए. पर रत्न अगर लग्न और ग्रह के अनुसार न हो तो वो अपना प्रभाव नहीं कर पाते और वो सिर्फ एक आभूषण बन के या शो बन के रह जाते है. विद्वान ज्योतिष के अनुसार एक ऊँगली में जीवन को प्रभावशाली बनाने वाले रत्न और लगन-स्वामी से सम्बधित रत्न को भी एक ही अंगूठी में जडाकर पहनना चाहिए. कौन से लग्न को कौन स्वामी है और उससे संबधित रतन कौन सा है, इसे निम्न तालिका के अनुसार समझे–
क्रम - लग्न राशि का नाम -- स्वामी ग्रह का नाम-- अनुकूल रत्न
1 मेष -- मंगल -- मूँगा
2 वृषभ ---शुक्र -- हीरा
3 मिथुन -- बुध -- पन्ना
4 कर्क -- चन्द्रमा -- मोती
5 सिंह -- सूर्य -- माणिक्य
6 कन्या -- बुध -- पन्ना
7 तुला -- शुक्र -- हीरा
8 वृश्चिक -- मंगल -- मूँगा
9 धनु -- गुरु -- पुखराज
10 मकर -- शनि -- नीलम
11 कुम्भ -- शनि -- नीलम
12 मीन -- गुरु -- पुखराज
पाश्चात्य सभ्यता व संस्कृतिसे प्रभावित लोगअपनी जन्म तारीखव महीना ही ध्यानमें रखते हैऔर उन्ही केद्वारा भाग्यफल जानना चाहते है. वैसेभी पाश्चात्य ज्योतिषके अनुसार अंग्रेजीमहीनो से सम्बब्धितरत्न दूसरे है. पाश्चात्य ज्योतिष की मान्यताके अनुसार जिसइंसान का जन्मअंगेजी के जिसमहीने में हुआहै, उसे उससेसंबधित रत्न पहननेचाहिए. नीचे दीहुई तालिकासे समझने कोसिसकरे-
क्रम -- अंग्रेजी महीने का नाम --- अनुकूल रत्न
1 जनवरी -- मूँगा
2 फरवरी -- एमेथिस्ट
3 मार्च -- एक्वामरीन
4 अप्रैल --- हीरा
5 मई -- पन्ना
6 जून --सुलेमान
7 जुलाई -- माणिक
8 अगस्त--गोमेद
9 सितम्बर --नीलम
10 अक्टूबर चंद्रकांत
11 नवंबर-- पुखराज
12 दिसंबर -- वैदूर्यमणि
रत्न धारण करने के कुछ सिद्धांत माने जाते है, जिनका हमे ध्यान रखना बहुत आवश्यक है. जिस ग्रह से संबधित रत्न धारण किया जायेगा, वो ग्रह उस इंसान की जन्म-कुंडली में रत्न धारण द्वारा बल पाएगा, क्योकि उस ग्रह से सम्बधित जो रश्मियाँ उस रत्न में है, उनका शरीर में प्रवेश हो जायेगा. अतः जो सोने, चांदी या पंचधातु आदि की अंगूठी रत्न जुड़वाने के लिए बनवाई जाये, वो इस प्रकार की हो की उसमे लगा रत्न ऊँगली आदि की त्वचा को स्पर्श करता रहे.
अनेक विद्वान ज्योतिष के शास्त्रियों के अनुसार- जन्मकुंडली को पूरी तरह से प्रभावशाली बनाने वाले ग्रह का रत्न धारण या पहनना चाहिए. पर रत्न अगर लग्न और ग्रह के अनुसार न हो तो वो अपना प्रभाव नहीं कर पाते और वो सिर्फ एक आभूषण बन के या शो बन के रह जाते है. विद्वान ज्योतिष के अनुसार एक ऊँगली में जीवन को प्रभावशाली बनाने वाले रत्न और लगन-स्वामी से सम्बधित रत्न को भी एक ही अंगूठी में जडाकर पहनना चाहिए. कौन से लग्न को कौन स्वामी है और उससे संबधित रतन कौन सा है, इसे निम्न तालिका के अनुसार समझे–
क्रम - लग्न राशि का नाम -- स्वामी ग्रह का नाम-- अनुकूल रत्न
1 मेष -- मंगल -- मूँगा
2 वृषभ ---शुक्र -- हीरा
3 मिथुन -- बुध -- पन्ना
4 कर्क -- चन्द्रमा -- मोती
5 सिंह -- सूर्य -- माणिक्य
6 कन्या -- बुध -- पन्ना
7 तुला -- शुक्र -- हीरा
8 वृश्चिक -- मंगल -- मूँगा
9 धनु -- गुरु -- पुखराज
10 मकर -- शनि -- नीलम
11 कुम्भ -- शनि -- नीलम
12 मीन -- गुरु -- पुखराज
पाश्चात्य सभ्यता व संस्कृतिसे प्रभावित लोगअपनी जन्म तारीखव महीना ही ध्यानमें रखते हैऔर उन्ही केद्वारा भाग्यफल जानना चाहते है. वैसेभी पाश्चात्य ज्योतिषके अनुसार अंग्रेजीमहीनो से सम्बब्धितरत्न दूसरे है. पाश्चात्य ज्योतिष की मान्यताके अनुसार जिसइंसान का जन्मअंगेजी के जिसमहीने में हुआहै, उसे उससेसंबधित रत्न पहननेचाहिए. नीचे दीहुई तालिकासे समझने कोसिसकरे-
क्रम -- अंग्रेजी महीने का नाम --- अनुकूल रत्न
1 जनवरी -- मूँगा
2 फरवरी -- एमेथिस्ट
3 मार्च -- एक्वामरीन
4 अप्रैल --- हीरा
5 मई -- पन्ना
6 जून --सुलेमान
7 जुलाई -- माणिक
8 अगस्त--गोमेद
9 सितम्बर --नीलम
10 अक्टूबर चंद्रकांत
11 नवंबर-- पुखराज
12 दिसंबर -- वैदूर्यमणि