इस गर्मी में हरयाणवी मखोलां त जिसे लें / Haryanvi Makholan Ka Maja Garmi Ke Mosam M Bhi

एक बार अपने रमलू क मजा लेन के जी म थी.... 
उसने करया फोन एक दुकान आले ध्होरे.....
रमलू  बोल्या :- हेलो, फ्रिज स के ??

दुकानदार  :- हाँ है!!
रमलू  :- फ्रिज चाले भी है के.... ?
दुकानदार  :- हाँ चालया करे....
रमलू  :- फेर उसने पकड़ ले मेरी सासु के नहीं त भाज ज्यागा
थोड़ी हान मे फेर रलदु ने फोन बीड़ा दिया....
रमलू  :- फ्रिज स के भाई.... ?
दुकानदार  (छो मे आ के) : नहीं है!!
रमलू  :- तेर त पहल्या ए कही थी अक पकड़ ले नहीं त भाज ज्यागा....



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किसै गाम में एक बै एक बाबा रोटी-चून मांगण लाग रहया था । 
एक ताई उसतैं बोल्ली - बाबा, म्हारे घर तैं ले आया किमैं ?
बाबा बोल्या - ना बेटी, तेरी बहु नाट-ग्यी ।
ताई कै ऊठ्या छो - आंछ्या, वा न्यूं क्यूकर नाट-ग्यी ? चल बाबा तू मेरी गैल चाल,
मैं देखूंगी वा क्यूकर नाट-ग्यी ! बाबा हो लिया उसकी गैल ।
घरां जा-कै ताई नै बहू बुलाई रूका दे-कै ।
फिर बोल्ली - आंहे बहू ! तू कुछ देण तैं क्यूकर नाट-ग्यी बाबा नैं, तू घणी चौधरण हो रही सै ?
नाटणा होगा तै मैं नाटूंगी ! चल बाबा आग्गे नै !!