हरियाणवी देशी चुटकले / Haryanvi Deshi Chutkale Gane Sare
हरियाणवी देशी चुटकले / Haryanvi Deshi Chutkale Gane Sare / chutkale Haryanvi bhasha me
एक दिन पड़ोस को छोरा आ के पडोसी चाचा नु बोल्यो:
“रे चाचा…. थारी इस्तरी दे दे”
चाचो आपकी लुगाई की ओर इसारा करके बोल्यो:
“ले जा… वा बैठी।।”
छोरा चुप चाप देखन लाग्यो और बोल्यो..
“चाचा यो नहीं.. कपडे हाली चावे स ।।”
चाचा बोल्यो:
“रे बावला, या तने बगैर कपड़ा की दीखे है के।।”
छोरा गुस्सा में चीख्यो
“रे चाचा.. तू बावलो ना बन.. करंट ह़ाली इस्त्री चाए.. करंट हाली…”
चाचो भी उछलकर बोल्यो,
“बावली पूँछ…. हाथ तो लगा के देख..
करंट ना मारे त , फेर बात करीए!!!”
एक दिन पड़ोस को छोरा आ के पडोसी चाचा नु बोल्यो:
“रे चाचा…. थारी इस्तरी दे दे”
चाचो आपकी लुगाई की ओर इसारा करके बोल्यो:
“ले जा… वा बैठी।।”
छोरा चुप चाप देखन लाग्यो और बोल्यो..
“चाचा यो नहीं.. कपडे हाली चावे स ।।”
चाचा बोल्यो:
“रे बावला, या तने बगैर कपड़ा की दीखे है के।।”
छोरा गुस्सा में चीख्यो
“रे चाचा.. तू बावलो ना बन.. करंट ह़ाली इस्त्री चाए.. करंट हाली…”
चाचो भी उछलकर बोल्यो,
“बावली पूँछ…. हाथ तो लगा के देख..
करंट ना मारे त , फेर बात करीए!!!”