जानिये नहाने के नियम - Janiyen nahaane ke niyam
अच्छे स्वास्थ्य और सुंदर शरीर के लिए प्रतिदिन नहाना (स्नान) जरूरी है।
नहाने के लिए सबसे अच्छा समय सुबह-सुबह का ही होता है लेकिन कुछ लोग दिन
के अन्य समय में भी स्नान करते हैं।
शास्त्रों के अनुसार स्नान के कई प्रकार बताए गए हैं। इसके साथ ही नहाने की एक विशेष विधि भी है। इस विधि से नहाना बहुत ही लाभदायक होता है।
सुबह लगभग 4-5 बजे जो स्नान भगवान का चिंतन करते हुए किया जाता है उसे ब्रह्म स्नान कहते हैं। ऐसा स्नान करने वाले को इष्टदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है।
सूर्योदय के बाद किसी नदी में या घर पर ही विभिन्न नदियों के नामों का जप करते हुए स्नान करते हैं तो उस स्नान को देव स्नान कहा जाता है। ऐसे स्नान से भी व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
सुबह-सुबह जब आकाश में तारे दिखाई दे रहे हों और उस समय स्नान करें तो उस स्नान को ऋषि स्नान कहा जाता है। सामान्यत: जो स्नान सूर्योदय के पूर्व किया जाता है वह मानव स्नान कहलाता है। सूर्योदय से पूर्व किए जाने वाले स्नान ही श्रेष्ठ होते हैं।
वर्तमान में काफी लोग सूर्योदय के बाद चाय-नाश्ता करने के बाद स्नान करते हैं ऐसे स्नान को दानव स्नान कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार हमें ब्रह्म स्नान, देव स्नान या ऋषि स्नान करना चाहिए। यही सर्वश्रेष्ठ स्नान हैं।
रात के समय या शाम के समय नहाना नहीं चाहिए। यदि सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण का दिन हो तो उस दिन रात के समय स्नान किया जा सकता है।
स्नान के पश्चात तेल आदि की मालिश न करें। भीगे कपड़े न पहनें।
नहाने से शरीर स्वच्छ तो होता है साथ ही कई प्रकार की बीमारियों से निजात मिल जाती है। शास्त्रों के अनुसार सभी धार्मिक कर्म नहाने के बाद ही किए जाने चाहिए। बिना नहाए पूजन-पाठ करना वर्जित किया गया है। हमारी दिनचर्या के सबसे खास कामों में से एक काम नहाना भी है। इसी वजह से शास्त्रों में नहाने के लिए भी कई नियम बताए गए हैं।
शास्त्रों के अनुसार प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में नहाना श्रेष्ठ फल प्रदान करता है। इसी वजह से हमेशा स्नान सूर्योदय से पहले ही कर लेना चाहिए।
नहाने के बाद प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। सूर्य को जल चढ़ाने से मान-सम्मान प्राप्ति होती है।
काफी लोग नहाने से पहले शरीर की अच्छी मालिश करते हैं। मालिश से स्वास्थ्य और त्वचा दोनों को ही लाभ प्राप्त होता है। त्वचा की चमक बढ़ती है। इस संबंध में यह ध्यान रखना चाहिए कि मालिश के आधे घंटे बाद शरीर को रगड़-रगड़ कर नहाना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार दिन के सभी आवश्यक कार्यों के लिए अलग-अलग मंत्र बताए गए हैं। नहाते समय भी हमें मंत्र जप करना चाहिए। स्नान करते समय किसी स्तोत्र का पाठ किया जा सकता है या कीर्तन या भजन या भगवान का नाम लिया जा सकता है। ऐसा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
नहाते समय सबसे पहले सिर पर पानी डालना चाहिए इसके बाद पूरे शरीर पर। इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण है, इस प्रकार नहाने से हमारे सिर एवं शरीर के ऊपरी हिस्सों की गर्मी पैरों से निकल जाती है