हरियाणवी मखौल - मुँह दुक्खै सै / Haryanvi Makhol - Munh Dukhe saa
एक बै सत्तू खेत म्ह रेडियो सुणे था।
रेडियो पै एक लुगाई बताण लाग री थी-
बंबई मै बाढ़ आ गी, गुजरात मै हालण आग्या, दिल्ली म्ह...
सत्तू नै देख्या पाच्छै नाका टूट्या पड़्या सै, अर बाणी दूसरे के खेत म्ह जाण लाग रहया सै।
सत्तू छोंह म्ह आकै रेड़ियो कै दो लट्ठ मारकै बोल्या -
दूर-दूर की बताण लाग री सै, लवै नाका टूट्या पड़या सै, यो बतांदे होए तेरा मुँह दुक्खै सै।
रेडियो पै एक लुगाई बताण लाग री थी-
बंबई मै बाढ़ आ गी, गुजरात मै हालण आग्या, दिल्ली म्ह...
सत्तू नै देख्या पाच्छै नाका टूट्या पड़्या सै, अर बाणी दूसरे के खेत म्ह जाण लाग रहया सै।
सत्तू छोंह म्ह आकै रेड़ियो कै दो लट्ठ मारकै बोल्या -
दूर-दूर की बताण लाग री सै, लवै नाका टूट्या पड़या सै, यो बतांदे होए तेरा मुँह दुक्खै सै।