Breaking News

पीलिया रोग क्या ? क्यों ? कैसे इसका इलाज क्या होता है ?

प्रिय दोस्तो,
पीलिया रोग अधिक कष्टकारी है। इसमें खून की कमी होने के कारण शरीर पर पीलापन आने लगता है। आरम्भिक अवस्था में सामान्य बुखार रहने के कारण आभाष नहीं होता है। किन्तु धीरे- धीरे रोग बढ़ता है तो आँखों में पीलापन दिखाई देता है। साथ ही किन्तु धीरे धीरे रोग बढ़ता है तो आँखों में पीलापन दिखाई देता है। साथ ही खाने के अरुचि, अजीर्ण, मलावरोध आदि के साथ बुखार का कारण बना रहना साथ दाह और छित भ्रम जैसी अवस्था उत्पन्न हो जाती है।

भारतीय आयुर्वेद में इस रोग को पाण्डु कहा गया है। जनसामान्य में पीलिया के नाम से जाना जाता है। एलोपैथ इसे जोंडिस कहते है। भारतीय चिकित्सा- विज्ञान इसके पाँच भाग करता है-

(1) वातज पाण्डु
(2) पित्तज पाण्डु
(3) कफज पाण्डु
(4) त्रिदोषज पाण्डु
(5) मृत्तिका- भक्षण जन्यपाण्डु

वातज पाण्डु-  वातजपाण्डु में त्वचा, नेत्र और मूत्रादीमें रूखापन, रंगललियुखत काला और शरीर में कम्प, कोचने जैसी पीड़ा, अफरा और चित्त भ्रम जैसे लक्षण होते है।

वातज पाण्डु-  वातजपाण्डु में त्वचा, नेत्र और मूत्रादीमें रूखापन, रंगललियुखत काला औरशरीर में कम्प, कोचने जैसी पीड़ा, अफरा और चित्तभ्रमजैसे लक्षण होतेहै।

पित्तजपाण्डु -  पित्तजपाण्डु में रोगीके मल-मूत्रमें और नेत्रोमें पीलापन आजाता है. शरीरमें दाह केसाथ प्यास बढ़तीहै. मल पतलाऔर शरीर पीलाहो जाता है। साथ ही बुखारआने लगता है।

कफज पाण्डु- कफज पाण्डु मेंमुंह से कफजाना, शीत, तन्द्रा, आलस्य, शरीर मेंभारीपन रहना, त्वचा, मुंह, नेत्र और मुंहपर सफेदी सीझलकना आदि लक्षणदिखाई देते है।

त्रिदोषज पाण्डु- त्रिदोषजपाण्डु में बुखार, अरुचि, जी मचलना, वमन, शीत, तृषा, चित्त में व्याकुलता, शरीर में कमजोरी और इंद्रियों की विषय - ग्राहक शक्ति की कमी होने लगती है।

मृत्तिका-भक्षण जन्यपाण्डु- मृत्तिका-भक्षण जन्यपाण्डु में कषैलीमिट्टी खाने सेवाट, खरी मिट्टीखाने से पित्तऔर मीठी  मिट्टी खाने सेकाफ दोष बढ़जाता है। इसकारण दोष केअनुसार लक्षण उत्पन्न होते है। और वेरोगी के बल, वर्ण को प्रभावितकरते है। नेत्रपलक, कपोल, नाभिऔर पैर मेंसूजन, मल मेंखून एयर कफका मिश्रण निकलताहै।



पीलिया रोग होने पर घरेलू उपाय क्या करें ? कुछ घरेलू उपाय निचे लिखे हैं जिसे इस रोग से मुक्ति मिल सकती है :-


1 ग्राम नीम के पत्तो का रस दिन में दो बार ले से पीलिया जड़ से ख़त्म होजाता है।

10 ग्राम सोंठ चूर्ण को 10  ग्राम गुड में मिलकर सेवन करे। कई दिन तक सुबहशाम करने सेलाभ होगा।

६बादाम, २ छुहारे, ३ छोटी इलायची  रातको मिट्टी केकोरे बर्तन मेंभेजो दे. दूसरे  दिनसुबह मक्खन वमिश्री (५०-५०ग्राम) इनमे मिलाकरचाटे पीलिया(Jaundice) ठीकहो जाएगी।

अगर  पीलिया कुछ दिन पुराना है तो साथ का चूर्ण पहले घी में भून ले, फिर गुडके साथ ले. इससे न सिर्फरक्त से पित्तका निकास होगाबल्कि जठरग्नि भीउदीपित होगी वभूख-प्यास बढ़ेगी. शरीर में सूजनहै तो वोभी  सामान्यहो जाएगी।

अरण्डी के पत्तो कारस 4 चम्मच  बराबर भाग दूधलेकर मिला लेसुबह के समयसेवन करे.  पीलिया(Jaundice)  जड़से ठीक होजाएगी.मेहदी केपत्तो का रस४ चम्मच, दूध४ चमम्च, जरुरतके अनुसार मिश्रीमिलकर सुबह, दोपहरशाम को सेवनकरे. इतना उपायकरने से मूत्रमें पीलापन केरोग खत्म होजाते है। यह रस पीने केबाद २ रत्तीउत्तम भस्म लौहभस्म में थोड़ेशहद में मिलकरचटनी चाहिए।

एक गिलास छाछ में चुटकीभर कालीमिर्च डालकरसात दिन तकनियमित रूप सेसेवन करने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।

एक गिलास टमाटर व गाजर का रस पीने से भी  पीलिया समाप्त हो जाताहै।

एक प्याज व एक निम्बू का रस मिलाकर काला नमक, काली मिर्च व थोड़ी सी अदरक के बारीक- टुकड़े  उसमे  डालकर डेढ़ से दो घंटे तक यथावत पडे रहने दे. २ घंटे बाद रोगी  इन अदरक के टुकड़ा को चबाकर खाये तो पीलिया रोग में लाभ होता है।

एक गिलास शुद्ध जल में १२ ग्रामत्रिफला भिगोकर सुबह छानकरपी ले पीलिया में लाभ हो होगा।

एक पके केले कोबीच में चाकूसे काटकर लम्बे२ भाग करले. खाने वालागिला चुन दोनोंभागो पर उंगलियोंसे हल्का सालगाकर, दनो भागोको फिर सेएसे मिला देकी लगे छिलकारहित साबुत केलाहै. इस केलेको १-१ सुबह, दोपहर औरशाम को खाले, इस उपचारको ३ दिनकरे. पीलिया(Jaundice) निश्चितही खत्म हो जायेगा।

एक सादा पान लेधो-साफ़ करकेसिर्फ गीला कत्थालगाकर इस परचने की दालबराबर देसी कपूरका टुकड़ा रखेऔर पान लपेटकरबीड़ा बना ले. इस बीड़े कामुंह में रखकर२०-२५  मिनट तकचबाते हुए रसनिगलते रहे. इसकोचबने के आधाघंटे पहले औरआधा जानते बादटाक कुछ भीन खाये-पिए. खान-पाएं मेंपरहेज रखे. तीनतक ये नुस्खाउपयोग करे. पीलिया(Jaundice) रोग ख़त्म होजाएगा।

ककोड़ा की जड़ के रस की नस्य लेने से पीलिया जल्दी ठीक होता है।

खट्टेअनार का रसअाँखो में लागनेसे  पीलिया मात्र तीन दिनमें ठीक होजाता है।

गिलोय का रस और शहद में मिलाकर सुबह शाम लेने से भी पीलिया ठीक होता है।

चित्रकमूल, हरड़, बहेड़ा, आमला, नागरमोथा, बायवीडिंग, सोंठ, कालीमिर्च औरछोटी पीपल- यहचीज़े सामान भागलेकर, कूट करसूती कपडे सेछान ले. फिरपुरे चूर्ण केवजन के बराबरलौह भस्म मिलाकरखरल करे। इसचूर्ण को उचितमात्रा में असमानभाग शहद औरगोघृत के साथ चाटकर ऊपर सेतक्र अथवा गोमूत्र पीना चाहिए। कै साभी गौर पीलिया(Jaundice) का रोग हो ठीक हो जायेगा।

छोटी-हरड़ का चरण गुड के साथ खाने से पीलिया रोग को काबू पाया जा सकता है।

छोटेछोटे प्याज केछिलके उतारकर उन्हेंबिना कटे सिरकेमें डालकर आचारबन ले. सिरकेमें बने प्याज  काअचार पीलिया केमरीज हो हररोज कहना चाहिए. इस नुस्खे काअसर अचूक होताहै. पीलिया(Jaundice)  रोगी के लिएसफ़ेद प्याज कारस भी हितकारीहोता है. इसमेंमिश्री और पिसी  हुईहल्दी डालकर पीए. कुछ दिनों मेंपीलिया(Jaundice)  भीठीक हो जायेगा. जब तक पीलिया(Jaundice)  रोगजड़ से ठीकन हो जायेतो  तबतक इस उपचारउपयोग परम उपयोगी है।

तुरंतइलाज के लिए मरीज को निम्बूके रस का सेवन करना चाइये. एक गिलास पानीमें दो निम्बूका रस मरीजको दिन मेंमें ८-१०बार पिलाए. पीलिया(Jaundice)  ठीकहोने लगेगा।

त्रिफला चूर्ण महीन पीसकरएक ग्राम (८रत्ती ), फिटकरी का फुला१/४  ग्राम (२ रत्ती), उत्तम लौह भस्म१/८ ग्राम(१ रत्ती) पर एक खुराकबनती है एसी४ खुराक रोजसुबह दोपहर शामव रात कोताजा छाछ मेंघोलकर एक सप्ताहतक सेवन करनेसे पीलिया(Jaundice)  समाप्त हो जाती है।

दिन में दो बार नीम के पत्तो का रस १-१ तोला सेवन करे।

निशोथऔर इन्द्रायण का चुरण मिश्री के साथ सेवन करने से पीलिया तथा कामला में भी लाभ होता है।

नीम कीचल सुखकर पीसले. इसमें गिलोयका चरण मिलाये. दोनों की ५ग्राम मात्र सुबहशाम शहद सेचाटे पीलिया नष्ट हो जायेगा।

नीम का रस शहद के साथ मिलकर सेवन करे पीलिया ठीक हो जायेगा।

नीम का रस, घीऔर शहद (दोनोंकम या बढ़तीमात्र में) केसाथ चाटने सेपीलिया में काफीराहत मिलता है।

नीम की चआल, त्रिकुटा, आशा, कुटकी औरगिलोय- सबको सम्मानभाग लेकर काढ़ाबनकर शहद मिलकरपी ले पीलिया आपकी ठीक होजाएगी।

पीलिया के रोगी को जाओ व नारियल का पानी, अनारका रस, नमक व जीरा मिश्रित मठ्ठा, मूली, करेला, शायद आदि का सेवन करना चाहिए।

पीलिया के लक्षणअनुसार चिकित्सा- छोटी हरड़को गो मूत्रमें एक सप्ताहतक भिगोये। उसके बाद 1 हरड़ रोज सेवन करे, तो पीलिया रोग ख़त्म होता है।

पीलिया  रोगीदिन  भरमें आधा किलोपपीता खाये तोपीलिया ठीक हो जायेगा।

पीलिया के रोगीको घर मेंछायादार जगह परआराम करना चाहिए. धुप से बचनाचाइये. साथ केचूर्ण का सेवननियमित रूप सेकरना चाहिए।

पीलिया के रोगीको घर मेंछायादार जगह परआराम करना चाहिए. धुप से बचनाचाइये. साथ केचूर्ण का सेवननियमित रूप सेकरना चाहिए।

मण्डूर को आग पर सात बार गरम कर के गाय का मूत्र में ठंडा करे। इससे वहशुद्ध हो जाता है। उस सुध किये मांडर का माहीं चुरण कर के रखे। यह मण्डूर 2 ग्राम की मात्र में लेकर घी और शहद में मिलाकर खाये और साथ चावल का भोजन करे। इससे पाण्डु रोगखत्म होता है। सूजन भी नहीं रहेगा। भूख भी खुल कर लगेगी।

मूली का१२५ मिली लीटररस निकाल करमिश्री के साथपीना लाभदायक है. मूली का रसचाहे तो  गन्ने के रसके साथ भीले सकते है. पीलिया ख़त्म होजाता है।

मूली के पत्तो का रस(६० ग्राम) व १५ ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह बिना कुछ खाये खाने से पीलिया ठीक हो जाता है।(हल्दी व दूध का सेवन दो माह तक न करे)।

मूली के पत्ते से लगभग२०० मिली लीटररस निकाल करमिश्री के साथपीना लाभदायक है. मूली रस चाहेतो गन्ने केरस के साथभी ले सकते है ।

मूली के पत्ते से लगभग२०० मिली लीटररस निकाल करमिश्री के साथपीना लाभदायक है. मूली रस चाहेतो गन्ने केरस के साथभी ले सकतेहै. खट्टे अनारका रस अाँखोमें लागने से  पीलिया(Jaundice) मात्र तीन दिनमें ठीक होजाता है।

शुरू  में२ दिन तकएक चम्मच शहदकी खुराक मरीजको २ बारदे. फिर चारदिन तक आधाचम्मच शहद मेंलौह-चूर्ण मिलाकरतीन बार दे. अवश्य ही पीलिया  मेंलाभ होगा।

सफ़ेद या लाला फिटकरी तवेपर सेककर फुलाले. जब फिटकरीबताशे जैसी होजाये तब उतारकरपीस ले. यहउत्तम गुणकारी उपायहै. २ या३  दिनउपयोग करना काफीहै।

साँठी, हरड़, नीम केछाल, दारु-हल्दी, कुटकी, परवल के पत्ते, गिलोय और सोंठका क्वाथ विधि पूर्वक पकाकर उसमे गोमूत्र डालकर सेवन करे। इससे पीलिया , खाँसी, उदर रोग, श्वास में बहुत लाभ करता है।

हल्दी, दारुहल्दी, त्रिफला और कुटकी१०-१० गरमचरण करके, उसमे५० ग्राम लौहभस्ममिलाये और २रत्ती  कीमात्र में शहदऔर गोघृत केसाथ  सुबहशाम सेवन करे। इससे पीलिया नष्ट होता है।