अब ये न पूछना की..ये अल्फ़ाज़ कहाँ सेलाता हूँ,कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के,कुछ अपनी सुनाता हूँ| वो साथ थे तोएक लफ़्ज़ ना निकलालबों से,दूर क्या हुएकलम ने क़हर मचा दिया..!!