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ऐ "सुख" तू कहाँ मिलता है



   "सुखतू  कहाँ   मिलता   है
क्यातेरा   कोईस्थायी.   पताहै...............................



क्यों   बन   बैठा   है.   अन्जाना
आखिरक्या   है   तेरा   ठिकाना।

कहाँ   कहाँ.    ढूंढातुझको
परतू  कहीं  मिला  मुझको

ढूंढाऊँचे   मकानोंमें बड़ी  बड़ी   दुकानोंमें
स्वादिस्ट   पकवानोंमें चोटीकेधनवानोंमें

वो   भी   तुझको.    ढूंढरहे   थे
बल्कि   मुझकोही   पूछरहेथे

क्या   आपको   कुछ   पता    है
ये  सुख  आखिर  कहाँ  रहता   है?

मेरेपासतो.  "दुःखका   पता   था
जो   सुबह   शामअक्सरमिलता  था

परेशान   होके   रपट    लिखवाई
पर   ये   कोशिश   भी   काम    आई

उम्र   अब   ढलान.   पे.   है
हौसले    थकान.   पे.    है

हाँ   उसकीतस्वीर   है   मेरेपास
अबभीबची   हुईहै    आस

मैंभीहार    नही    मानूंगा
सुखकेरहस्य   को.   जानूंगा

बचपन.   में    मिला    करता    था
मेरे    साथ   रहा    करता.   था

परजबसे.   मैं    बड़ा   हो.   गया
मेरासुख   मुझसे   जुदाहो  गया।

मैं   फिर   भीनही   हुआ    हताश
जारी   रखी    उसकी    तलाश

एकदिनजब   आवाजये    आई
क्या.   मुझको.   ढूंढरहा  है   भाई

मैंतेरेअन्दर   छुपा.   हुआ.    हूँ
तेरेहीघरमेंबसा.   हुआ.   हूँ

मेरानहीहै   कुछ.   भी    "मोल"
सिक्कों.   मेंमुझको.   .   तोल

मैंबच्चोंकी.   मुस्कानों.   में    हूँ
हारमोनियम   की.   तानों   में.   हूँ

पत्नीकेसाथ    चाय.   पीनेमें
"
परिवार"    केसंगजीने.   में

माँबाप   केआशीर्वाद    में
रसोई   घर   के  पफवानो।  में

बच्चों।  की   सफलता।  में।   हूँ
माँ।   की।  निश्छल।  ममता  में  हूँ

हर।  पल।  तेरे।  संग    रहता।  हूँ
और   अक्सर।  तुझसे   कहता।  हूँ

मैं   तो   हूँ   बस।  एक    "अहसास"
बंद।  कर   दे   तु।  मेरी    तलाश

जो   मिला   उसी।  में।  कर   "संतोष"
आज  को।  जी।  ले।  कल  की सोच

कल  के   लिए।  आज।  को     खोना
मेरे   लिए   कभी   दुखी।   न।  होना
मेरे।  लिए   कभी।  दुखी       होना